Ling Puran Book/लिंग पुराण पुस्तक : It is an important book, Ling Puran Book is not easily available, this book is written by Pt. Jwala Prasad Chaturvedi Ji. This Ling Puran Book is published by Randhir Prakashan, Haridwar in 2009, in this book there are 400 pages.
Ling Puran Book Content:
According to the content list of the Ling Puran Book, the contents are duly expresses in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mention here under. Sut ji and Naimisheya Rishis, Samvad, index, first creation, description of beginning of creation. Description of first origin of creation, description of Pitrisvara and Gods etc. and great significance of Shankar ji. Yogeshwar Vyasa including Manu and rendering of his disciples and Shankar ji. The description of the mystery of, the description of the places of yoga to interview the Shiva element. The objections in yoga and the description of the obstruction and objections are extensively describes, which is an important part of the mythology Ling Puran Book.
Ling Puran Book Description:
This Linga Purana, with the glory of Lord Shankar, has its special significance in 18 Purana. In it, the spirit of the past is His Holiness’s emergence of Jyotirlingas of the compassionate Shankaraji. It is the eleventh Maha Purana according to Narada Purana while numbering 18 Purana. Chapter 102 of Narada Purana gives the subject list of Linga Purana. According to Narada Purana, ‘This Purana is the giver of religion, artha, kama, moksha’ of the four realms. It provides devotion and liberation to the listeners of reading. There are 11000 verses in it which tell the greatness of Lord Shankar. It is said to be perfect in all Purana.- Ling Puran Pushtak.
There are big misconceptions in the modern society about the word gender. Desires people have a tendency to use the word gender in some other sense. But the word Linga means a symbol or symbol. Lord Shankar who himself is an Adi Purusha, his light Swaroopa is a symbol of Chinmaya Shakti. This Linga is a clear description in this Purana about the origin of the Jyotirlinga. Which manifests itself in surprise to the eternal elements like Brahma and Vishnu, for the welfare of the universe. – Ling Puran Pushtak.
Ling Puran Book Benefits:
By reading this Ling Puran Book, you get to know how the creation was made.
By reading this Ling Puran Book, you get complete information about Lord Shiva and Shivling.
लिंग पुराण पुस्तक/Ling Puran Book
यह लिंग पुराण एक महत्वपूर्ण पुस्तक हैं, लिंग पुराण पुस्तकआसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक पं. ज्वाला प्रसाद चतुर्वेदी जी के द्वारा लिखी हुई हैं, इस लिंग पुराण पुस्तक को रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार ने सन् 2009 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 400 पृष्ट (पेज)हैं।
लिंग पुराण पुस्तक/Ling Puran Book की विषय सूचि:
इस पुस्तक सूचि के अनुसार: सूत जी तथा नैमीषेय ऋषियों का सम्वाद, अनुक्रमणिका, प्रथम सृष्टि का वर्णन, सृष्टि का प्रारंभ, सृष्टि की प्रथम उत्पत्ति का वर्णन, पित्रीश्वर तथा देवताओ आदि का वर्णन तथा शंकर जी का महात्म्य, मनु सहित योगेश्वर व्यास और उनके शिष्यों का प्रतिपादन तथा शंकर जी के रहस्य का कथन, शिव तत्व का साक्षात्कार करने के लिए योग के स्थानों का वर्णन, योग में आपत्तियों तथा रूकावटो का वर्णन के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि लिंग पुराण पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
लिंग पुराण पुस्तक का विवरण:
देवाधिदेव भगवान शंकर की महिमा से युक्त यह लिंग पुराण 18 पुराणों में अपना विशेष महत्व रखता हैं। इसमें भूत भावन परम कृपालु शंकरजी के ज्योतिर्लिंगो के उद्भव की परम पावन कथा हैं। 18 पुराणों की संख्या करते समय नारद पुराण के अनुसार यह ग्यारहवां महापुराण हैं। नारद पुराण के अध्याय 102 में लिंगपुराण की विषय सूची दी गई हैं। नारद पुराण के अनुसार ‘यह पुराण धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष’ चारों प्रदार्थों का देने वाला हैं। यह पढ़ने सुनने वालों को भक्ति और मुक्ति प्रदान करता हैं। भगवान शंकर के महात्म्य को बताने वाले इसमें 11000 श्लोक हैं।
यह सभी पुराणों में उत्तम कहा गया हैं। लिंग शब्द के विषय में आधुनिक समाज में बड़ी भ्रान्ति हैं। मनचले लोग लिंग शब्द को कुछ दूसरे अर्थ में प्रयोग करने की मनोवृत्ति रखते हैं। परन्तु लिंग शब्द का अर्थ है चिन्ह या प्रतीक। भगवान शंकर जो खुद आदि पुरुष हैं, उनकी ज्योति: स्वरूपा चिन्मयशक्ति का प्रतीक हैं। यह लिंग इसके उद्भव के विषय में ज्योतिर्लिंगो द्वारा सृष्टि के कल्याणार्थ प्रकट होकर स्वयं ब्रम्हा और विष्णु जैसे अनादि तत्वों को भी आश्चर्य में डालने वाली घटना का इस पुराण में स्पष्ट वर्णन हैं।
लिंग पुराण पुस्तक/Ling Puran Book के लाभ:
इस पुस्तक को पढने से आपको सृष्टि की रचना कैसे हुई यह पता चलता हैं।
इस पुस्तक को पढ़कर आपको भगवान शिव तथा शिवलिंग की पूर्ण जानकारी मिलती हैं।
Ling Puran Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Jwala Prasad Chaturvedi
Language: Hindi
Weight: 0.311 gm Approx.
Pages: 400 Pages
Size: “18” x “12” x “2” cm
Edition : 2009
Shipping: Within 4-5 Days in India
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