Shri Garud Puran Book/श्री गरुड़ पुराण पुस्तक: Shri Garud Puran Book is an important book of puran, in which information about garud puran is hidden.
Shri Garud Puran Book About:
Puran literature has been a special significance since ancient times. In fact, the Puran literature as well as the Vedas is also God’s manifest form. If the myths are not known then Brahmin cannot be feudal. It is called ‘Purana’ because it is very ancient and clear to the Vedas. Anadita, authenticity and pleasantness of Puranas are mention everywhere. Vedavyas has lighted the ancient mythology. In fact, Puranas are eternal and universal. Mahapuran is eighteen in numbers. – Shri Garud Puran Book.
They are Brahma, Vishnu, Shiva, Shrimad Bhagavat, Narada, Markandeya, Agni, Future, Ling, Varah, Skand, Vaman, Kurma, Mastya, Garud and Brahmand. All the myths mentioned above are of one special significance. The excellence of Garuda Purana is well-known. The welfare of human life, reverence for the ancestors, the death sentence is create by the Shodash Shraddha tradition etc. Garuda is a miniature mythological lecture of Puranas, sixteen chapters. Lord Vishnu has describe the horrifying scene of the whole of Yamraj for his servant Vihangendra.
A person with sinlessness has to face many troubles in both this world and the world. The listening of Garuda Purana is for the salvation of the ancestors. Therefore, the practice of virtuous deeds is supreme. Hearing of the stories of Garuda Puran in all religious beliefs, reverence, master belief, realization of knowledge, philosophy, etc. is extremely useful. – Shri Garud Puran Book.
श्री गरुड़ पुराण पुस्तक/Shri Garud Puran Book
गरुड़ पुराण, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें गरुड़ पुराण के बारे में बताया गया है।
श्री गरुड़ पुराण पुस्तक के बारे में..
अति प्राचीनकाल से ही पुराण साहित्य का विशेष महत्व रहा है। वस्तुतः वेद की ही भांति पुराण साहित्य भी भगवान का निःश्वास स्वरूप ही है। यदि पुराणों को नहीं जाना गया तो ब्राह्मण विचक्षण नहीं हो सकता। अत्यन्त प्राचीन तथा वेद को स्पष्ट करने वाला होने से इसका नाम ‘पुराण’ हुआ है। पुराणों की अनादिता, प्रमाणिकता तथा मंगलमयता का हर जगह पर उल्लेख है। भगवान वेदव्यास ने प्राचीनतम पुराण का प्रकाश किया है। – Shri Garud Puran Book.
वस्तुतः पुराण अनादि और नित्य हैं। महापुराण अठारह हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, श्रीमद् भागवत्, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, लिंग, वाराह, स्कन्द, वामन, कूर्म, मस्त्य, गरुड़ और ब्रह्माण्ड। उक्त सभी पुराण एक से एक विशेष महत्व के हैं। गरुड़ पुराण की उपादेयता तो सर्वविदित है। मानव जीवन का कल्याण, पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, मृत्युपरांत को षोडष श्राद्ध परम्परा आदि के द्वारा विश्वास का सृजन होता है। गरुड़ पुराण सोलह अध्याओं का एक लघुकाय पौराणिक व्याख्यान है।
भगवान विष्णु ने अपने सेवक वाहन विहगेन्द्र को यमराज की पूरी का भयावह दृश्य वर्णन किया है। पापाचरण युक्त प्राणी को इस लोक और परलोक दोनों में अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है। गरुड़ पुराण का श्रवण अपने तथा पूर्वजों के उद्धार के लिए है। अतः पुण्य कर्मों की साधना परम अपेक्षित है। धार्मिक वचनों में श्रद्धा, गुरु आस्था, ज्ञान की प्राप्ति, तत्व ज्ञान आदि सभी में गरुड़ पुराण ही कथा का श्रवण परम उपयोगी है।
Shri Garud Puran Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Jwala Prasad Chaturvedi
Language: Hindi
Weight: 0.426 gm Approx.
Pages: 413 Pages
Size: “21” x “14” x “2.5” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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