Yatharth Geeta Book (यथार्थ गीता पुस्तक): It is an important book, the Yatharth Geeta Book is not easily available, this book has been written by Swami Adgadanand Ji, this book has been published by Paramhans Trust, Mumbai, in 1994. The book has 388 pages.
Yatharth Geeta Book Content list:
According to the content list of the Yatharth Geeta Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned hereunder. Skepticism Yoga, Karma curiosity, Shatruvinasha Prerna, Yajna Karma Explanation, Yajnabhokta Mahapurushastha Maheshwar, Abhyas Yoga, Holistic information, Akshar Brahma Yoga, Rajavidya Jagrati, Vibhuti Descriptions, Bhakti Yoga, Kshetra-Kshetragya Department Yoga, Gunatraya Department Yoga, Purushottam Yoga, Daivasur Sampada Department Yoga , Sanyasa yoga is explained in detail, which is an important part of the Yatharth Geeta Book.
Yatharth Geeta Book Description:
In fact, there seems to be no need to write commentaries on the Gita anymore; because thousands of commentaries have been written on it, of which fifties are only in Sanskrit. There are fifty opinions about Gita, while the foundation of all is Gita. Yogeshwar Shri Krishna must have said one thing, then why this difference of opinion? In fact the speaker says the same thing; But if the audience is sitting ten numbers, then ten types of intent are taken. As much as the influence of tamasic, royal or sattvic qualities on a person’s intelligence is able to hold that dialogue from the same level. He is unable to understand beyond this. Hence the differences are natural.- Yatharth Geeta Pushtak.
By different opinions, and sometimes by expressing the same principle in different tenses and languages, an ordinary person is confused. That Satyadhara also flows among many commentaries; But if a vaccine with pure meaning is placed among thousands of vaccines, then it becomes difficult to identify in them who is the reality? In the present day, there have been many commentaries of the Gita, all declaring their truth; But they are far from the pure meaning of Gita. Of course, some great men also touched the truth; But for some reasons they could not present it to the society.- Yatharth Geeta Pushtak.
Yatharth Geeta Book Benefits:
Reading the Yatharth Geeta Book provides information about important topics of Gita.
You can understand the importance of Gita by reading the Yatharth Geeta Book.
With the Yatharth Geeta Book, you can make the right changes in your life.
यथार्थ गीता पुस्तक/Yatharth Geeta Book
यह यथार्थ गीता एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, यथार्थ गीता पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक स्वामी अड़गड़ानन्द जी के द्वारा लिखी हुई है, इस यथार्थ गीता पुस्तक को परमहंस ट्रस्ट, मुंबई, ने सन् 1994 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 388 पृष्ठ(पेज) है।
यथार्थ गीता पुस्तक की विषय सूचि:
इस पुस्तक में विषय सूचि अनुसार – संशय विषाद योग, कर्म जिज्ञासा, शत्रुविनाश प्रेरणा, यज्ञकर्म स्पष्टीकरण, यज्ञभोक्ता महापुरुषस्थ महेश्वर, अभ्यासयोग, समग्र जानकारी, अक्षर ब्रह्मयोग, राजविद्या जाग्रति, विभूति वर्णन, भक्तियोग, क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विभाग योग, गुणत्रय विभाग योग, पुरुषोत्तम योग, दैवासुर सम्पद विभाग योग, सन्यास योग के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि यथार्थ गीता के महत्वपूर्ण अंग है।
यथार्थ गीता पुस्तक/Yatharth Geeta Book का विवरण:
वस्तुत: गीता पर टीका लिखने की अब कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती; क्योंकि इस पर सहस्त्रों टीकाएँ लिखी जा चुकी है, जिनमें पचासों तो केवल संस्कृत में ही है। गीता को लेकर पचासों मत है, जबकि सबकी आधारशिला एकमात्र गीता है। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने तो कोई एक बात कही होगी, फिर यह मतभेद क्यों? वस्तुत: वक्ता एक ही बात कहता है; किन्तु श्रोता यदि दस बैठे हों तो दस प्रकार के आशय ग्रहण करते है। व्यक्ति की बुद्धि पर तामसी, राजसी अथवा सात्विक गुणों का जितना प्रभाव है, उसी स्तर से उस वार्ता को पकड़ पाता है। इससे आगे वह समझ नहीं पाता। अत: मतभेद स्वाभाविक है।
विभिन्न मतवादों से, और कभी कभी एक ही सिद्धांत को अलग अलग काल और भाषाओं में व्यक्त करने से साधारण मनुष्य संशय में पड़ जाता है। बहुत सी टीकाओं के बीच वह सत्यधारा भी प्रवाहित है; किन्तु शुद्ध अर्थवाली एक टीका हजारों टीकाओं के बीच रख दी जाए तो उनमें यह पहचानना कठिन हो जाता है कि यथार्थ कौन है? वर्तमानकाल में गीता की बहुत सी टीकाएँ हो गई है, सभी अपनी अपनी सत्यता का उद्घोष करती है; किन्तु गीता के शुद्ध अर्थ से वे बहुत दूर है। नि:संदेह कुछ महापुरुषों ने सत्य का स्पर्श भी किया; किन्तु कतिपय कारणों से वे उसे समाज के समक्ष प्रस्तुत न कर सके।
यथार्थ गीता पुस्तक/Yatharth Geeta Book के लाभ:
यथार्थ गीता पुस्तक को पढ़ने से गीता के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
इस पुस्तक को पढ़कर आप गीता के महत्व को समझ सकते है।
यथार्थ गीता पुस्तक से आप अपने जीवन में सही बदलाव ला सकते है।
Yatharth Geeta Book Details:
Book Publisher: Paramhans Trust
Book Author: Swami Adgadanand
Language: Hindi
Weight: 0.461 gm Approx.
Pages: 388 Pages
Size: “14” x “11” x “3” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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