Aatmgyan Ki Vidhiyan Book/आत्मज्ञान की विधियाँ पुस्तक : Aatmgyan Ki Vidhiyan Book is an important book, in which information about sadhana accomplishment is hidden.
Aatmgyan Ki Vidhiyan Book About:
The area of spirituality is different from the field of physics, which is related to consciousness, and the field of science is confined to the world of matter, the method of knowing both is different. The mysteries of consciousness cannot be known by the methods of physics, but science is trying to know it by its own law, which makes the society confused. Some religions do not accept the power of God, and some religions make this creation as God’s only composition holds. Some religions contrast between the creation and God, and then some say about Advaita that there is no difference between creativity and creator. –Aatmgyan Ki Vidhiyan Book.
The creator is expressed in the form of creation. Some workers and men think different; some do not accept the power of the workers, etc. Many readers have confused due to many opinions. He has not reached any conclusions, what is the truth? Are not all these religious preachers concerned to do the truth, but to make their religion come true, that is why hate hatred in the society has only flourished. -Aatmgyan Ki Vidhiyan Book.
The creation process of this universe is so complex that no one could take the right decision. Those who have talked about unity in this world are not ready to accept it, which has made this misunderstanding. Modern science is working only in the physical field, and the spiritual world has done the highest work on consciousness, so that it could not do much work in this physical field as much as today’s science is doing. As much development has taken place in India in the field of consciousness, no one in the world has ever been able to do anything so India has been given the honour of the world guru. -Aatmgyan Ki Vidhiyan Book.
आत्मज्ञान की विधियाँ पुस्तक/Aatmgyan Ki Vidhiyan Book
आत्मज्ञान की विधियाँ, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें साधना के बारे में बताया गया है।
आत्मज्ञान की विधियाँ पुस्तक के बारे में:
आध्यात्म का क्षेत्र भौतिक विज्ञानं के क्षेत्र से सर्वथा भिन्न प्रकार का है जिसका संबंद्ध चेतनाशक्ति से है तथा विज्ञान का क्षेत्र पदार्थ जगत तक ही सिमित है जिससे दोनों को जानने की विधिया ही भिन्न है। भौतिक विज्ञानं की विधियों से चेतना के रहस्यों को जाना नही जा सकता किन्तु विज्ञानं इसे भी अपनी विधि से जानने का प्रयत्न कर रहा है जिससे समाज भ्रमित हो रहा है कुछ धर्म ईश्वर की सत्ता को ही स्वीकार नही करते तो कुछ धर्म इस सृष्टी को ईश्वर की ही रचना मानते है। कुछ धर्म सृष्टी व ईश्वर में भेद करते है तो कुछ अद्वैत की बात करते है की सृष्टी व सृष्टीकर्ता में भेद नही है। -Aatmgyan Ki Vidhiyan Book.
सृष्टीकर्ता ही सृष्टी रूप में अभिव्यक्त हुआ है। कुछ प्रकर्ति व पुरुष को भिन्न मानते है तो कुछ प्रकर्ति की ही सत्ता हो स्वीकार नही करते आदि अनेक मतों के कारण सामान्य पाठक भ्रमित हुआ है। वह किसी निश्चय पर नही पहुच पाया है की सत्य क्या है? क्या इन सभी धर्म प्रचारको को सत्य की नही बल्कि अपने धर्म को ही सत्य करने की चिंता है जिससे समाज में घ्रणा द्वेष ही पनपा है। -Aatmgyan Ki Vidhiyan Book.
इस सृष्टी की रचना प्रक्रिया इतनी जटिल है की कोई भी इसका सही निर्णय नही ले सका है। जिन ज्ञानियों ने इस संसार में एकत्व की बात की है उसे ये मानने को तैयार नही है जिससे यह भ्रान्ति बनी ही हुई है। आधुनिक विज्ञान केवल भौतिक क्षेत्र में ही कार्य कर रहा है तथा आध्यात्म जगत ने चेतनाशक्ति पर ही सर्वाधिक कार्य किया है जिससे वह इस भौतिक क्षेत्र में इतना कार्य नही कर सका जितना आज का विज्ञानं कर रहा है। चेतना के क्षेत्र में जितना विकास भारत में हुआ है उतना विकास दुनिया में किसी कही भी कोई भी नही कर सका है इसी कारण विश्व गुरु का सम्मान दिया गया है। -Aatmgyan Ki Vidhiyan Book.
Aatmgyan Ki Vidhiyan Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Shree Nandlal Dashora
Language: Hindi
Weight: 0.265 gm Approx.
Pages: 159 Pages
Size: “22” x “14” x “1” cm
Edition : 2014
Shipping: Within 4-5 Days in India
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