Tripur Bhairavi Gutika (त्रिपुर भैरवी गुटिका) : Tripur Bhairavi Mahavidya is present at the sixth place in ten Mahavidyas. Which has been considers as the complete power of destruction and demolition. The meaning of Tripura is that the three lokas which are locates in the form of a principle of “Heaven, World and Hades” and Goddess Bhairavi is sitting in the principle of destruction or demolition. Which means in three Lokas the power that is present for destruction and demolition is “Bhairavi”. Devi is related to destruction, vandalism and Lord Shiva whose relation is with demolition. Their power is Devi Tripura Bhairavi, representing the destructive nature of Lord Shiva. Tripur Bhairavi Gutika
Bhairavi is the store of knowledge with nature, the Goddess lives in the time of the demolition. In its fierce and the fiercest form, with the presence of Shiva. Goddess is embraces with Tamasi quality is also manifested on human nature, such as anger, jealousy, selfishness, alcohol intake, smoking etc. Which lead to destruction of human beings. Goddess is related to these destructive elements and tendencies. Goddess is of the same quality as the night-time or the Kali. Despite the relation of Goddess to destruction. She is gentle and gentle for the gentlemen and the wicked tendency is fierce and destructive for the sinners. The power of the Goddess to the sinners, leads to destruction.
The Siddha Tripura Bhairavi Gutika seeker of Tripura Bhairavi protects against the destructive properties like anger, jealousy, selfishness, alcohol intake, smoking etc. And destroys the holder’s enemies. By holding the Tripura Bhairavi Gutika, all the bonds, planet faults, Vastu defects, tantra defects etc. Are removed, and the person receives all the wealth in life. The worship of Tripura Bhairavi Gutika in any form in Shakti-Sadhana and Bhakti-path is rewarding. Whereas ego is destroyers by meditation.
It complete childhood emerges in the seeker and the mother appears before the seeker. Bhagwati Tripura Bhairavi is delighted by the worship, chanting mantra, worshiping with devotion. With his happiness, the seeker is easily received by the entire purpose. According to the “Rudrayamal Tantra”, the information of Tripura Bhairavi Gutika has been done by very few seekers of the world. The seekers of the Institute of astromantra.com have proven this gutka with great diligence in Holi, eclipse, Kal night. Gutika from the institute one can easily get it.
Tripur Bhairavi Gutika Benefits:
- Having Tripur Bhairavi Gutika, the person receives the special grace of Tripur Bhairavi.
- If you have a planet fault of Saturn, Rahu, Ketu Mangal etc. then you must assume this gutika, by holding this gutka, all planetary faults become calm.
- By holding a Tripur Bhairavi Gutika, there can not be any obstruction of any tantra, this gutika destroys all the systems and promotes the best path in life.
- Keep Tripur Bhairavi Gutika in the account book for the benefit of business.
- All kinds of planetary faults such as father fault, Kaalsarp defect, Kemudum Yoga defects etc, in which the person becomes free from impersonating Tripura Bhairavi, there is no such defect in his life.
- For the sake of peace in the house, Tripura Bhairavi set up on the pile of black pepper in front of the goddess Durga in his worship house.
- If tied on the main door of the house, there is protection from all types at home.
Tripur Bhairavi Gutika Sanctified:
Tripur Bhairavi Gutika sold by us are duly sanctified and energized by the expert Pundits and Sages of astromantra.com for immediate retention and ready to wear.
How to hold Tripur Bhairavi Gutika?
On Saturday, after the shower between 5 am to 7 am, in the temple of the house, Tripura Bhairavi gutika to be kept on black cloth and in front of the Tripura Bhairavi Gutika, burn of 8 mustard oil lamp, chant 108 times of the following mantra and hold the gutika in red thread around your neck.
Mantra:
।। Om Hasain Var Varday Manovanchhit Siddhye Om ।।
त्रिपुर भैरवी गुटिका : दस महाविद्याओं में छठे स्थान पर त्रिपुर भैरवी महाविद्या विद्यमान है, जो संहार तथा विध्वंस की पूर्ण शक्ति मानी गयी है। त्रिपुर शब्द का अर्थ है, तीनो लोक “स्वर्ग, विश्व और पाताल”। भैरवी विनाश के एक सिद्धांत के रूप में अवस्थित हें, तात्पर्य है तीन लोको में सर्व नष्ट या विध्वंस कि जो शक्ति है, वह “भैरवी” है। देवी विनाश, विध्वंस से सम्बंधित है और भगवान शिव जिनका सम्बन्ध विध्वंस से है, उनकी शक्ति देवी त्रिपुर भैरवी हैं, भगवान शिव के विध्वंसक प्रवृति की प्रतिनिधित्व करती हैं। भैरवी प्रकृति के साथ सम्पूर्ण ज्ञान मयी हैं। देवी विध्वंस काल में, अपने भयंकर तथा उग्र स्वरूप में, शिव की उपस्थिति के साथ रहती है। देवी तामसी गुण सम्पन्न है तथा यह गुण मनुष्य के स्वभाव पर भी प्रतिपादित होता है।
जैसे क्रोध, ईर्ष्या, स्वार्थ, मदिरा सेवन, धूम्रपान इत्यादि जैसे विनाशकारी गुण, जो मनुष्य को विनाश की ओर ले जाते हैं। देवी का सम्बन्ध इन्हीं विध्वंसक तत्वों तथा प्रवृति से है, देवी काल-रात्रि या काली के समान गुण वाली है। देवी का सम्बन्ध विनाश से होते हुए भी वे सज्जन जातको के लिए नम्र तथा सौम्य है और दुष्ट प्रवृति, पापी लोगों के लिए उग्र तथा विनाशकारी है। दुर्जनो, पापियों को देवी की शक्ति ही विनाश कि ओर अग्रसरित करती हैं। त्रिपुर भैरवी की सिद्ध त्रिपुर भैरवी गुटिका साधक को क्रोध, ईर्ष्या, स्वार्थ, मदिरा सेवन, धूम्रपान इत्यादि जैसे विनाशकारी गुणों से बचाती है और धारक के शत्रुओं का विनाश करती है। त्रिपुर भैरवी गुटिका के धारण करने से सभी बंधन, ग्रह दोष, वास्तु दोष, तन्त्र दोष आदि दूर हो जाते हैं, और जातक को जीवन में सर्वसंपदा की प्राप्ति होती है।
शक्ति-साधना तथा भक्ति-मार्ग में किसी भी रुप में त्रिपुर भैरवी गुटिका की उपासना फलदायक ही है, साधना द्वारा अहंकार का नाश होता है तब साधक में पूर्ण शिशुत्व का उदय हो जाता है और माता, साधक के समक्ष प्रकट होती है। भक्ति-भाव से मन्त्र-जप, पूजा, होम करने से भगवती त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होती हैं। उनकी प्रसन्नता से साधक को सहज ही संपूर्ण अभीष्टों की प्राप्ति होती है। “रुद्रयामल तन्त्र” अनुसार त्रिपुर भैरवी गुटिका की जानकारी संसार के बहुत ही कम साधकों को रही है, एस्ट्रो मंत्रा संस्थान के साधकों ने इस गुटिका को बड़े परिश्रम से होली, ग्रहण, काल रात्रि में सिद्ध किया है, यह गुटिका आप संस्थान से आसानी प्राप्त कर सकते है।
त्रिपुर भैरवी गुटिका के लाभ:
- त्रिपुर भैरवी गुटिका धारण करने से महाविद्या त्रिपुर भैरवी की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।
- यदि आपको शनि, राहु, केतु मंगल आदि का कोई ग्रह दोष है तो आप इस गुटिका को अवश्य ही धारण करे, इस गुटिका को धारण करने से सभी ग्रह दोष शांत हो जाते है।
- त्रिपुर भैरवी गुटिका के धारण करने से कभी कोई तंत्र बाधा हो ही नहीं सकती, यह गुटिका समस्त तन्त्र को नष्ट कर जीवन में श्रेष्ठ मार्ग की ओर अग्रसरित करती है।
- व्यापार में लाभ के लिए महाविदया त्रिपुर भैरवी को एकाउंट बुक में रखें।
- सभी प्रकार के ग्रह दोष जैसे, पितृ दोष, कालसर्प दोष, केमदुम योग दोष आदि में महाविद्या त्रिपुर भैरवी गुटिका धारण करने से जातक दोष मुक्त हो जाता है, उसके जीवन में किसी प्रकार से कोई इस प्रकार का दोष व्याप्त नहीं रहता।
- घर में शांति के लिए महाविद्या त्रिपुर भैरवी गुटिका को अपने पूजा घर में माँ दुर्गा के सामने काली मिर्च की ढेरी पर स्थापित करे।
- घर के मुख्य दरवाजें पर महाविद्या त्रिपुर भैरवी को बांधने से घर की सभी प्रकार से सुरक्षा होती है।
त्रिपुर भैरवी गुटिका को कैसे धारण करे?
शनिवार के दिन स्नान आदि करके सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच के समय, घर के मंदिर में, त्रिपुर भैरवी गुटिका को काले वस्त्र पर रखे और त्रिपुर भैरवी स्वरूप गुटिका के सामने 8 सरसों के तेल के दीपक जलाकर, निम्नलिखित मन्त्र का 108 बार जाप करके गुटिका लाल धागे में गले में धारण करे या अन्य उपयोग करे।
मन्त्र:
।। ॐ हसैं वर वरदाय मनोवांछितं सिद्धये ॐ ।।
Tripur Bhairavi Gutika Details:
Shape: Oval
Color: Dark Brown
Size: 3 x 1.5 x 0.5 cm
Weight: 5 gm Approx.
Energized: Tripur Bhairavi Beej Mantra
Shipping: Within 4-5 Days in India
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