Yogini Gutika (योगिनी गुटिका) : In Vishnu Bhagwat Puran, Divine Mother Shakti is known as Maha Yogini. Yogini is of “64” type, in the ancient texts, it is described about the divine powers of yogis, such as: “Brahmand Purana, Agni Purana, Skanda Purana, Kalika Purana, Gyanarao Yantra, Nandikeshwara Purana, Sarala Das Chandi Puran , Brihandra Tantra, Bataa Avakasa of “Balram Das” etc. The creators of the Tantra are considered Lord Shiva and all the technical theories have been created by him. Later scholars researched Shiva’s disciplines and discovered many new secrets contained in them and handed them over to the coming generations as an invaluable resource. Yogini Gutika
Once upon a time, Lord Shiva gave a precept to Parvati to practice Yogini Sadhana and asked that there are all kinds of comforts in the heavens for the gods, Apsaras keep on serving them, they have got lifelong puberty, all their desires are fulfilled, whereas all the desires of the people living in the earth are not fulfilled, they are trapped in the trap of their incomplete desires. So, you tell us such a solution, so that humans can be as bright and mighty as Gods, by providing the perfection of all their kind of desires and moving forward on the path. Then Mother Parvati replied -“Only Yogini Sadhana is such a remedy.
Through which a person can fulfil all his kind of desires, through the Yogini Sadhana, enjoyment and salvation is attained. These Yoginis have been considered to fulfil all kinds of incomprehensible desires giving immediate results, because they are the nature of my own power. Yogini is related to Adi Shakti “Kali Kul“, and Mother Kali has assumed the form of Yogis to destroy the monster called Ghor. Each elf is endowed with special supernatural powers. For the elf, vashikaran, pillar, hypnosis, beauty, meaning, pleasure and happiness are possible, they always remain young forever. Yogini Gutika
The seeker, who practices meditation as a seeker, receives cooperation directly and indirectly from the Yoginis throughout life. In order to accomplish any of the Yoginis, the Yogini Gutika is required, without the Yogini Gutika, achievement or full benefit cannot be obtained, so before attaining the practice, Yogini Gutika must be behold. The knowledge of the Yogini Gutika has been done by very few seekers of the world, it is an important Gutika, it has been proven by the proven seekers of Astro-Mantra, during eclipse, in the Kaalratri, so that all the people can get the maximum benefit from this Gutika.
How to Wear Yogini Gutika?
On any Tuesday, bathing between 8 pm to 10 o’clock in the evening, keep the Yogini Gutika on a red cloth in front of the mother Durga in the temple of the house, burning the lamps of pure oil in front, chanting the following mantra 324 chanting, put the Yogini Gutika Put in a red thread or put it in a purse or hold it around the neck.
Yogini Gutika Sanctified:
Yogini Gutika sold by us are duly sanctified and energized by the expert Pundits and Sages of astromantra.com for immediate retention and ready to wear.
Mantra:
।। Om hreem dum durgaye namah ।।
योगिनी गुटिका : विष्णु भागवत पुराण में दिव्य माँ शक्ति को महायोगिनी के नाम से जाना जाता है। योगिनी “64” प्रकार की होती है, योगिनियों की दिव्य शक्तियों के बारे में प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख मिलता है, जैसे: “ब्राह्मणंद पुराण, अग्नि पुराण, स्कंद पुराण, कालिका पुराण, ज्ञानाराव तंत्र, वृहद् नंदिकेश्वर पुराण, सरला दास के चांडी पुराण, बृहन्द्र तंत्र, बलराम दास के बाटा अवकासा” आदि। तंत्र के रचयिता भगवान शिव माने गये हैं और समस्त तांत्रिक विद्याओं की रचना उन्हीं के द्वारा हुई है। बाद के विद्वानों ने शिव रचित विद्याओं में शोध कर उनमें निहित अनेक नवीन रहस्यों को खोज निकाला और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य थाती के रूप में उन्हें सौंप दिया।
एक बार की बात है, भगवान शिव ने पार्वती को योगिनी साधना करने का उपदेश दिया और पूछा कि देवताओं के लिए तो स्वर्ग में सभी प्रकार की सुख सुविधा हैं, अप्सराएं नित्य उनकी सेवा करती रहती हैं, उन्हें चिर यौवन प्राप्त है, उनकी समस्त प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती रहती हैं, जबकि पृथ्वी लोक में रहने वाले मनुष्यों की सभी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पातीं, वे अपनी अपूर्ण इच्छाओं के जाल में फंसे रहते हैं। अतः आप ऐसा उपाय बताएं, जिससे मनुष्य भी देवताओं के समान तेजस्वी, पराक्रमी बन सकें, अपनी समस्त प्रकार की इच्छाओं को पूर्णता प्रदान करते हुए आगे पथ पर अग्रसर हो सकें।
तब माँ पार्वती ने उत्तर दिया- “मात्र योगिनी साधना ही ऐसा उपाय है, जिसके माध्यम से मनुष्य अपनी समस्त प्रकार की इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है। योगिनी साधना के माध्यम से भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये योगिनियां तत्काल फल देने वाली समस्त प्रकार की अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली मानी गयी हैं,क्योंकि ये मेरी ही शक्ति का स्वरूप हैं।योगिनी का संबंध आद्या शक्ति “काली कुल” से है, माँ काली ने ही घोर नामक दैत्य को नष्ट करने के लिए योगिनियों का रूप धारण किया था। प्रत्येक योगिनी विशेष आलौकिक शक्तियों से सम्पन्न होती है। योगिनी के लिये वशीकरण, स्तम्भन, सम्मोहन, सौन्दर्य, अर्थ, काम-रति सुख सहज संभव होता है, वे सदैव चिर यौवना बनी रहती हैं।
जो साधक प्रेमिका के रूप में साधना करता है, उस साधक को पूरे जीवन में योगिनी का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग मिलता है। 64 योगिनियों में से किसी भी योगिनी की साधना करने के लिए, योगिनी गुटिका की आवश्यकता होती है, बिना योगिनी गुटिका के योगिनी साधना में सिद्धि या पूर्ण लाभ नहीं प्राप्त किया जा सकता, इसलिए साधना करने से पूर्व योगिनी गुटिका को अवश्य ही धारण कर ले। योगिनी गुटिका की जानकारी संसार के बहुत ही कम साधकों को रही है, यह एक महत्वपूर्ण गुटिका है, इसे एस्ट्रो-मंत्रा के सिद्ध साधकों ने ग्रहण, कल रात्रि में सिद्ध किया है, ताकि सभी लोग इस गुटिका का अधिक से अधिक लाभ उठा सके।
योगिनी गुटिका को कैसे धारण करें?
किसी भी मंगलवार के दिन स्नान आदि करके शाम के समय 8 बजे से 10 बजे के बीच, घर के मंदिर में माँ दुर्गा के सामने लाल वस्त्र पर योगिनी गुटिका रखें, सामने शुद्ध तेल का दीपक जलाकर, निम्नलिखित मन्त्र का 324 बार जाप करके योगिनी गुटिका को लाल धागे में गले में धारण करें या पर्स में रखें।
मन्त्र:
।। ॐ ह्रीं दूं दुर्गाये नम: ।।
Yogini Gutika Details:
Shape: Oval
Color: Brownish
Size: 1.5 x 1.3 x 0.4 cm
Weight: 2 gm Approx.
Energized: Yogini Beej Mantra
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