What is Dhanwantari Yantra?
Dhanwantri Yantra (धन्वंतरि यंत्र) is an important and rare Yantra. This is the proven and energized Chaitanya through the mantras of Dhanvantari Rishi, who is known as the grandfather of Ayurveda. Dhanwantari Yantra is used in Dhanvantari Sadhana, worship, mantra chanting, etc., so that all types of diseases one can avoid, and if there is any disease remains, we can get rid of it soon.
This Yantra provides health to the holders. The Yantra has the power to fight against all diseases. The accomplished practitioners of Astro Mantra discovered this Yantra on the basis of ancient Tantra Shastra so that everyone can take advantage of this Yantra.
How to Energized the Dhanwantari Yantra?
This Yantra the priests sanctify and energize with the mantras of Dhanvantari Rishi on Pushya Yoga on the night of Holi and Makar Sankranti.
How To Install Dhanwantari Yantra?
Keeping your wishes in mind, place this mantra on a pile of Black Pepper in front of Lord Shiva in the north or east direction of your home temple, light a camphorlamp, worship the Yantra and chant the following mantra while sitting in a red seat. Chant with 3 Face Rudraksh Rosary and after chanting the mantra, turn the Black Pepper pressed under the mantra 7 times anti clock wise and burn it with camphor. Do this for 7 or 11 days, the disease will definitely start getting cured.
The Spell of Dhanvantari Yantra:
|| Om Namo Bhagwate Vasudevaya Dhanvantare Amrit Kalash Hastaay
Vajrloka Hastaya Sarvamaya Vinashaya Triloknathaya Shri Maha Vaishnave Swaha ||
Benefits of Dhanwantari Yantra:
- If someone in the house is unwell and the disease is increasing, then after worshiping this Yantra with camphor smoke, wrap it in any red cloth and keep it at the bedside of the patient, the disease starts getting cured quickly.
- Keep this Yantra filled with water in a copper vessel at night and feeding that water to the patient in the morning provides benefit to the patient.
- By collecting 21 leaves of Peepal tree, making a cushion with this Yantra, lifting it 7 times anti clock wise around the patient’s head 7 times, and then pouring it into a river or burying it in the ground, even severe diseases start to subside.
Precautions for Dhanwantari Yantra:
- Do not touch the instrument with dirty hands.
- Women should not touch this device during menstruation.
- Stay away from intoxicants and consumption of Tamasik food while worshiping the Yantra.
धन्वंतरि यंत्र क्या है?
यह यंत्र एक महत्वपूर्ण और दुर्लभ यंत्र है। यह धन्वन्तरी ऋषि, जो आयुर्वेद के पितामह कहे जाते है उनके मन्त्रों से सिद्ध और प्राण-प्रतिष्ठित चैत्यन्य है। धन्वन्तरी यंत्र का प्रयोग धन्वन्तरी साधना, पूजा, मंत्र जाप, इत्यादि प्रयोगों में किया जाता है, जिससे समस्त प्रकार के रोगों से बचा जा सकें, और यदि कोई रोग हो तो उससें शीघ्र ही मुक्त हो सकें, यह यन्त्र आरोग्यता प्रदान करता है।
इस यन्त्र में सभी रोगों से लड़ने की शक्ति होती है। एस्ट्रो मंत्रा के सिद्ध साधको ने प्राचीन तंत्र शास्त्रों के आधार इस यन्त्र को खोज कर निकाला जिससे सभी लोग इस यन्त्र का लाभ उठा सके।
धन्वंतरि यंत्र कैसे सिद्ध किया जाता है?
होली और मकर सक्रांति की रात्रि में पुष्य योग पर इस यन्त्र को धन्वन्तरी ऋषि के मंत्रो से सिद्ध किया गया है।
धन्वंतरि यंत्र को कैसे स्थापित करे?
अपने घर के मंदिर में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर अपनी मनोकामना को मन में रखते हुए इस मन्त्र को शिव जी के सामने काली मिर्च के ढेरी पर स्थापित करें, कपूर का दीपक जलाएं यन्त्र का पूजन करे और निम्न मंत्र का लाल आसन में बैठकर 3 मुखी रुद्राक्ष माला से जाप करें और मंत्र जाप के बाद कालीमिर्च जो मन्त्र के नीचे दबाई थी उसे रोगी के सर से उल्टा 7 बार घुमाकर कपूर के साथ जला दें, ऐसा 7 या 11 दिन तक करें, निश्चय ही रोग दूर होने लगता है।
धन्वंतरी यंत्र का मंत्र:
|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वन्तरे अमृत कलश हस्ताय
वज्रलोक हस्ताय सर्वमय विनाशाय त्रिलोक्नाथय श्री महा वैष्णवे स्वाहा||
धन्वंतरि यंत्र के लाभ:
- यदि घर में कोई अस्वस्थ हो, रोग बढ़ता जा रहा हो, तो इस यंत्र को कपूर का धुआं दिखाकर पूजन कर किसी भी लाल कपड़े में बांधकर रोगी के सिरहाने रख दे तो, रोग से जल्दी दूर होने लगता है।
- इस यंत्र को रात्रि के समय ताम्बे के वर्तन में पानी भरकर रखें और सुबह रोगी को वह पानी पिलाने से रोगी को लाभ मिलता है।
- इस यंत्र को पीपल के 21 पत्ते इकठ्ठा करके, एक गद्दी बनाकर यंत्र के साथ रोगी के उपर से 7 बार सर से सात बार उल्टा उतारकर किसी नदी में बहाने से या जमीन में गाड़ देने से भयंकर रोग भी शांत होने लगता है।
धन्वंतरि यंत्र की सावधानियाँ:
- यन्त्र को गंदे हाथों से न छुएं।
- रजस्वला समय से स्त्रियाँ इस यंत्र को हाथ न लगायें।
- यन्त्र की पूजा-साधना के समय नशा व तामसिक भोजन के सेवन से दूर रहे।
Dhanwantari Yantra Details:
Weight: 0.005 gm Approx.
Size: “2” x “2” Inch
Metal: Copper
Yantra Types: Puja Yantra
Energized: Dhanvantri Beej Mantra
Shipping: Within 4-5 Days in India
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