Shrapit-Kalsarp Yog Yantra (श्रापित-कालसर्प योग यन्त्र): Any kind of Kalsarpa Yoga that starts from Rahu is very painful, but the Kalsarp yoga that is formed from Ketu to Rahu is not very painful. Always remember this fact that the Kalsarp yoga creates obstacles primarily for children when Panchamastha is formed from Rahu. When all the planets are imprisoned between Rahu-Ketu in the horoscope, then the complete Kalsarp Yoga is formed. Astrology teaches auspicious and inauspicious formulas. In these yoga there is a yoga, it is also called a cursed defect. Shrapit-Kalsarp Yog Yantra
The theme of this yoga is that it is in the person’s horoscope that the effect of the auspicious formulas presents in the horoscope decreases, in which a person has to face difficulties and challenges in life. In astrology, Saturn, Rahu, Ketu, Mars and Sun are placed in the category of inauspicious planets. In these unlucky planets, the presence of Shani and Rahu in a single zodiac becomes a form of yoga. Because both of these planets are inauspicious, hence the yoga formed by the yoga of these two planets is said to be cursed.
Some astrologers also believe that this yoga is born even when Saturn’s vision is on Rahu. The common meaning of curse is considered to be the destruction of auspicious result. The person who makes this yoga in the horoscope receives this kind of reward, that is, any number of auspicious yoga in his horoscope becomes impaired. In this situation, a person has to face difficult challenges and difficult situations. Shrapit-Kalsarp Yog Yantra supplied by us are duly sanctified and energized by the team of expert Pundits and Sages of astromantra.com for instant effects and ready to use.
श्रापित-कालसर्प योग यन्त्र/Shrapit-Kalsarp Yog Yantra
श्रापित-कालसर्प योग यन्त्र: किसी भी तरह का कालसर्प योग जो राहु से आरम्भ हो रहा हो तो वह बहुत अधिक कष्टकारी होता है, किन्तु केतु से लेकर राहु तक बनने वाला कालसर्प योग ज्यादा कष्टकारी नहीं होता। यह बात सदैव ध्यान रखें कि कालयर्प येाग सन्तान के लिए मुख्य रूप से तभी बाधा पैदा करता है जब पंचमस्थ राहु से बनता है। जन्मकुण्डली में जब सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य कैद हो जाते है तब पूर्ण कालसर्प योग बनता है। ज्योतिष शास्त्र में शुभ और अशुभ योगों का वर्णन मिलता है, इन योगों में एक योग है श्रापित योग इसे शापित दोष भी कहा जाता है। इस योग के विषय में मान्यता है कि यह जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है उनकी कुण्डली में मौजूद शुभ योगों का प्रभाव कम हो जाता है जिससे व्यक्ति को जीवन में कठिनाईयों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि, राहु, केतु, मंगल एवं सूर्य को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। इन अशुभ ग्रहों में शानि एवं राहु की मौजूदगी एक राशि में होने पर श्रापित योग का निर्माण होता है। चुंकि ये दोनों ही ग्रह अशुभ फल देने वाले होते हैं इसलिए इन दोनों ग्रहों के योग से बनने वाले योग को शापित या श्रापित कहा जाता है। कुछ ज्योतिषशास्त्री यह भी मानते हैं कि शनि की दृष्टि राहु पर होने से भी इस योग का जन्म होता है। श्राप का सामान्य अर्थ शुभ फलों का नष्ट होना माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है उसे इसी प्रकार का फल मिलता है यानि उनकी कुण्डली में जितने भी शुभ योग होते हैं वे प्रभावहीन हो जाते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को कठिन चुनौतियों एवं मुश्किल हालातों का सामना करना होता है।
Shrapit-Kalsarp Yog Yantra Details:
Size: “6” x “6” Inch
Weight: 80 gm Approx.
Metal: Gold Plated Yantra
Yantra Types: Navagraha Yantra
Energized: Kaalsarp Dosh Nivaran Mantra
Shipping: Within 4-5 Days in India
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