Sacred Fig Benefits/पीपल वृक्ष के लाभ
Different Names of Sacred Fig (Sacred Fig Benefits/पीपल वृक्ष):
Hindi — Peepal
Parsee — Darakhtlarza
Gujarati — Peeplo
Kannad — Arlimara
Bengali — Ashwatho
Brief Description of Sacred Fig (Sacred Fig Benefits):
This Sacred Fig tree (Sacred Fig Benefits) is available everywhere. It is about 50 to 60 feet in height and well spread around. Like Banyan tree it has also a cool shadow. During the summer people finds coolness under this tree. The leaves are chordate in shape with a distinctive extended drip tip; they are 10–17 cm long and 8–12 cm broad, with a 6–10 cm petiole. The fruits are small figs 1–1.5 cm in diameter, green ripening to purple.
The leaves of this tree move continuously even when the air around is still and no perceptible wind is blowing. This phenomenon can be explained due to the long leaf stalk and the broad leaf structure. Religious minded people in Hindu/Buddhist religion attribute this movement of the leaves to the fact that “devas” or “gods” reside on these leaves and make it move continuously.
Astrological significance of Sacred Fig (Sacred Fig Benefits):
When a small plant is evolved, take out the plant on Ashwini constellation and along with cow milk feed this to a barren woman, she will conceive. If this Sacred Fig (Sacred Fig Benefits) small plant is kept in the house, there will be no harm.
During the Ashwini constellation take a root of 15 to 20 inches and bury it on the main door, the person will go for a long trip.
This root if used as tooth brush, a man suffering from fever will be cured soon.
For removing chicken pox, write the following mascot on a leave of Peepal with Asta Gandh and tie it on the oven.
पीपल वृक्ष के लाभ/Sacred Fig Benefits
पीपल के अन्य नाम:
गुजराती — पीपलो
फारसी — दरख्तलरजा
अंग्रेजी — Sacred fig
बंगला — पिपुल
हिंदी — पीपल
कन्नड़ — अरलीमारा
पीपल का परिचय (Sacred Fig Benefits):
पीपल (Sacred Fig Benefits) के वृक्ष भी लगभग सभी प्रान्तों में पाए जाते है। इसका वृक्ष 50 से 60 फुट तक ऊँचा एवं बहुत फैला हुआ होता है। वट वृक्ष की तरह इसकी भी छाया घनी एवं शीतल होती है। जिससे लोग गर्मी के दिनों में इसकी छाया में बैठकर तीव्र गर्मी से राहत पाते है। पीपल के पत्ते गोलाकार परन्तु आगे के भाग से नोंकदार लम्बे होते है। बरगद के फल की ही भांति इसका भी फल बेर के समान गोल होता है। पीपल वृक्ष को पवित्र व देवरूप में मानकर पूजा भी की जाती है। इसकी कुछ और भी जातियां है, जैसे पारीष पीपल नन्दीवृक्ष या वेलिया पीपल।
पीपल का ज्योतिषीय महत्व (Sacred Fig Benefits):
पीपल (Sacred Fig Benefits) के पेड़ में से जब एक नया पौधा उत्पन्न होता है, उस पौधे की जड़े पीपल के तने से जुडी होती है, जो देखने में छोटा होता है, उसे पीपल का बाँदा कहते है, अश्विनी नक्षत्र में पीपल का बांदा प्राप्त करके गाय के दूध के साथ सेवन करने से गर्भ की प्राप्ति होती है और बाँझ स्त्री भी पुत्र रत्न प्राप्त कर सकती है। पीपल (Sacred Fig Benefits) के बांदे को घर में स्थापित करने से हानि नहीं होती है।
अश्विनी नक्षत्र में पीपल (Sacred Fig Benefits) की जड़ की दस अंगुल लम्बी कील लेकर किसी के द्वार पर गाड देने से वह व्यक्ति शीघ्र ही लम्बी यात्रा पर चला जायेगा।
ज्वर दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में पीपल (Sacred Fig Benefits) की जड़ की दातुन बनाकर करने से ज्वर दूर होता है।
शीतला दूर करने के लिए इस यंत्र को पीपल (Sacred Fig Benefits) के पत्ते पर अष्टगंध से लिखकर चूल्हे पर बांधकर रखें तो शीतला शांत होगी|