School Vastu, स्कूल वास्तु

School Vastu | स्कूल वास्तु

School Vastu (स्कूल वास्तु): From the ancient time, school (School Vastu) education was a tradition of being in the company of gurus and in gurukulas. Student came to Gurukul only in his childhood, and returned home only after completing his full education. In ancient times, Vidya was in the category of best donations.

The disciple was grateful to his life by receiving education from his master. Education was the original mantra of Student; at the present time, the aim of education is to achieve only the livelihood, according to School Vastu, certain things should be taken care of. So that the students in school get a higher education at the earliest and the school name is illuminated.

Important Tips for School Vastu:

  • According to School Vastu, science is the cause of education, and hence the school is a symbol of architecture, Brahaspati.
  • If there is sufficient space available for the construction of the school according to School Vastu, then it is auspicious to make the building the English word ‘U’ or ‘L’ or ‘L’ shape.
  • According to School Vastu it is best to keep the north, east and north direction of the school building open as far as possible; blocking these directions reduces communication of life energy. Keeping the North and East direction open, students are encouraged to read and excel, health is good and students test results are commendable.
  • According to School Vastu if the size of the school building is of U, the plan is considered very auspicious.
  • According to School Vastu V-shaped school is not considered auspicious.
  • According to School Vastu if the school building is to be made of L shape then this type of scheme is considered auspicious and inauspicious sometimes both.
  • According to School Vastu the entrance of the school should be in East, North east or North direction. South direction is not auspicious.
  • According to School Vastu blackboard in the class should be on north or east directions, from which students face should remain towards north or east.
  • The playground should be in the north or east of the building, as well as its slope is auspicious to the north side.
  • There should be no beam etc. in the roof of the classroom.
  • It is very good and effective to be in the southwest angle of the Principal’s room.
  • The office should be in the southeast direction, but its face should be in the north or east direction.
  • School Vastu according to the library, the reading room should be in the west direction.
  • According to the School Vastu rules, the laboratory is auspicious to be located in the southeast direction.
  • According to School Vastu teacher’s sitting room should be in north or east direction.
  • According to School Vastu shady trees should be planted in the school premises. Barbed trees are discarded.
  • Waterfall or fountain should be installed in the north-east angle.
  • According to School Vastu it is best to make light yellow, white or pink in the class from the School Vastu rules.

School Vastu, स्कूल वास्तु

स्कूल वास्तु | School Vastu

स्कूल वास्तु (School Vastu): स्कूल प्राचीन समय से विद्या अध्यन गुरुओं के सानिध्य में रहकर गुरुकुलों में करने की परम्परा थी। विद्यार्थी बचपन में ही गुरुकुल में आता था, तथा अपनी सम्पूर्ण शिक्षा पूर्ण करके ही वापस घर लौटता था। प्राचीन समय में विद्यादान श्रेष्ठ दान की श्रेणी में आता था। शिष्य अपने गुरु से शिक्षा ग्रहण कर आजीवन उनका ऋणी रहता था। विद्यार्थी शिक्षा का मूल मन्त्र था, समय अनुसार वर्तमान में शिक्षा का उद्देश्य मात्र आजीविका प्राप्त करना रह गया है, वास्तु अनुसार कुछ अवश्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिससे स्कूल में विद्यार्थीयों को शीघ्र उच्च शिक्षा प्राप्त हो और स्कूल का नाम रोशन हो।

स्कूल वास्तु के महत्वपूर्ण टिप्स:

  • भारतीय वास्तु  ज्योतिष अनुसार ब्रहस्पति शिक्षा विद्या का कारक ग्रह है, इसी कारण स्कूल महास्कूल स्थापत्य ब्रहस्पति के प्रतीक है।
  • वास्तु के अनुसार स्कूल निर्माण के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो तो भवन अंग्रेजी शब्द यू अर्थात‘U’ या एल अर्थात‘L’ आकार का बनवाना शुभ होता है।
  • स्कूल के भवन की ईशान, पूर्व एवं उत्तर दिशा को जहां तक सम्भव हो खुला रखना श्रेष्ठ होता है, इन दिशाओं को अवरुद्ध करने से प्राण ऊर्जा का संचार कम हो जाता है। उत्तर एवं पूर्व दिशा को खुला रखने पर विद्यार्थियों में उत्साह एवं पढने की प्रेरणा रहती है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है और विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम प्रशंसनीय होते है।
  • यदि स्कूल  के भवन का आकार यू का हो तो योजना बहुत ही शुभ मानी गई है।
  • V के आकार का स्कूल होना शुभ नहीं माना जाता।
  • यदि स्कूल के भवन L आकार का बनाना हो तो इस प्रकार की योजना शुभ एवं अशुभ मानी जाती है।
  • स्कूल  का प्रवेश द्वार पूर्व, ईशान या उत्तर दिशा में होना चाहिए। दक्षिण दिशा शुभ नहीं है।
  • कक्षा में श्यामपट्ट(ब्लैक बोर्ड) उत्तर या पूर्व दिशा की दिवार पर होना चाहिए, जिससे पढ़ते समय विद्यार्थियों का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में रहे।
  • वास्तु (School Vastu) के अनुसार खेलने का स्थल भवन के उत्तर या पूर्व में होना चाहिए, साथ ही इसका ढलान ईशान कोण की तरफ होना शुभ रहता है।
  • वास्तु के अनुसार कक्षा की छतों में यथा सम्भव बीम इत्यादि नहीं होनी चाहिए।
  • प्रधानाचार्य का कक्ष नैऋत्य कोण में होना बहुत ही शुभ एवं प्रभावशाली होता है।
  • कार्यालय आग्नेय दिशा में होना चाहिए परन्तु उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • वास्तु अनुसार पुस्तकालय, वाचनालय पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
  • वास्तु नियमों अनुसार प्रयोगशाला आग्नेय कोण में स्थित होना शुभ होता है।
  • अध्यापकों का बैठने का कक्ष उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • स्कूल (School Vastu) परिसर में छायादार पेड़ लगवाने चाहिए। कांटेदार पेड़ त्याज्य है।
  • ईशान कोण में जल प्रपात अथवा फव्वारा लगाना चाहिए।
  • वास्तु नियम से कक्षाओं में हल्के पीले, श्वेत अथवा गुलाबी रंग करवाना श्रेष्ठ रहता है।