Shani Kavacham | शनि कवच
Shani Kavacham(शनि कवच) is a very powerful great protection kavach. Recitation of this kavach protects one from all the troubles caused by Shani, Graha dosha, Sadesati, Vish dosha, Pitra dosha and Shani Mahadasha. If in a person’s horoscope there is a Sadesati of Saturn, Mahadasha of Saturn, Dhaiya of Saturn or Saturn is causing harm in any way. Due to which he has to face extreme sorrow, poverty and suffering in life, there is great shortage of money, continuous loss in business, work is getting spoiled just before completion, success is not being achieved in any work, Kavach is considered extremely beneficial.
The defects of Shani planet start getting removed, all the sorrows poverty start getting removed from life gradually, wealth is gained, by reciting this kavacham. If any kind of negative energy resides in a person’s house, due to which there are diseases remains in the house, money is being spent on diseases, family members have to visit the hospital again and again, then in such a situation, if Shani Kavacham is recited with placed Shani Yantra in the house, then the family members gradually start getting relief from serious diseases and illnesses. Every person should recite Shani Kavacham in their regular worship, so that all the problems can be removed from their life.
शनि कवच | Shani Kavacham
अथ
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः।।
अनुष्टुप् छन्दः।। शनैश्चरो देवता ।। शीं शक्तिः।।
शूं कीलकम् ।। शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।।
नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान् ।
चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।1।।
श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ।।2।।
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् ।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ।।3।।
ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन: ।
नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज: ।।4।।
नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा ।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज: ।।5।।
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद: ।
वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता ।।6।।
नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा ।
ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा ।।7।।
पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल: ।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन: ।।8।।
इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य: ।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज: ।।9।।
व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा ।
कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि: ।।10।।
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ।।11।।
इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।
जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु: ।।12।।
॥ इति शनि कवच संपूर्णं ॥
Shani Kavacham | शनि कवच
Ath
Asya Shri Shanaischarakavachastotramantrasya Kashyap Rishih।।
Anushtup Chhandah।। Shanaischaro Devta ।। Shim Shaktih।।
Shum Kilakam।। Shanaischaraprityartham Jape Viniyogah।।
Nilambaro Nilavapu: Kiriti Grudhrasthitatrasakaro Dhanushman।
Chaturbhuj: Suryasut: Prasann: Sada Mam Syadvarad: Prashant:।।1।।
Shrunudhvamrushaya: Sarve Shanipidaharam Mahat।
Kavacham Shanirajasya Saureridamanuttamam ।।2।।
Kavacham Devtavasam Vajrapanjarasangnyakam।
Shanaischarapritikaram Sarvasaubhagyadayakam ।।3।।
Um Shrishanaischar: Patu Bhalam Me Suryanandan:।
Netre Chhayatmaj: Patu Karno Yamanuj: ।।4।।
Nasam Vaivasvat: Patu Mukham Me Bhaskar: Sada।
Snigdhakanthasch Me Kanth Bhujau Patu Mahabhuj: ।।5।।
Skandhau Patu Shanischaiv Karau Patu Shubhaprad:।
Vaksh: Patu Yamabhrata Kukshim Patvasitasthata ।।6।।
Nabhim Gruhapati: Patu Mand: Patu Katim Tatha ।
Uru Mamasntak: Patu Yamo Januyugam Tatha ।।7।।
Padau Mandagati: Patu Sarvang Patu Pippal:।
Angopangani Sarvani Rakshen Me Suryanandan: ।।8।।
Ityetat Kavacham Divyam Pathet Suryasutasya Ya:।
Na Tasya Jayate Pida Prito Bhavanti Suryaj: ।।9।।
Vyayajanmadvitiyastho Mrutyusthanagatospi Va ।
Kalatrastho Gatovaspi Supritastu Sada Shani: ।।10।।
Ashtamasthe Suryasute Vyaye Janmadvitiyage।
Kavacham Pathate Nityam Na Pida Jayate Kvachit ।।11।।
Ityetat Kavacham Divyam Saureryannirmitam Pura।
Janmalagnasthitandoshan Sarvannashayate Prabhu: ।।12।।
॥ Iti Shani Kavacham Sampurnam॥
शनि कवच के लाभ:
शनि कवच एक बहुत ही शक्तिशाली महा रक्षा कवच हैं। इस कवच के पाठ से शनि ग्रह की सभी पीड़ा, ग्रह दोष, साढ़ेसाती, विष दोष, पितृ दोष, शनि महादशा पीड़ा से रक्षा होती हैं। यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि की साढ़ेसाती हो, शनि की महादशा हो, शनि की ढैया हो या शनि ग्रह किसी भी तरह से नुकसान दे रहा हैं, जिसके कारण जीवन में अत्यंत दुख दरिद्रता एवं कष्ट सहने पड़ रहे हैं, धन की अत्यंत कमी हैं, व्यापार में लगातार हानि हो रही हैं, काम बनते-बनते बिगड़ रहे हैं, किसी भी कार्य में सफलता नही मिल रही हैं, तो ऐसे में, शनि कवच का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता हैं।
इस कवच का पाठ करने से शनि ग्रह दोष दूर होने लगता हैं, जीवन से समस्त दुःख दरिद्रता धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं, धन का लाभ होता हैं।यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का वास हो, जिसके कारण घर में बीमारियाँ बनी रहती हो, पैसा बिमारियों पर खर्च होता जा रहा हो, परिवार के सदस्यों को बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हो, तो ऐसे में घर में शनि यंत्र स्थापित करके, यदि शनि कवच का पाठ करे, तो परिवार के सदस्यों को गंभीर बीमारियों और रोगों से धीरे-धीरे छुटकारा मिलने लगता हैं। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे नित्य पूजा में शनि कवच का पाठ अवश्य करें, जिससे उसके जीवन से सभी परेशानियाँ दूर हो सके।