श्री भुवनेश्वरी अष्टकम | Shri Bhuvaneshwari Ashtakam
श्री भुवनेश्वरी अष्टकम (Shri Bhuvaneshwari Ashtakam)
भुवनेश्वरीं नमस्यामो भक्तकल्पद्रुमां सदा ।
वरदां कामदां शान्तां कृष्णातीरनिवासिनीम् ॥ १॥
सर्वसिद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदे शुभे ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ २॥
सर्वाभयप्रदे देवि सर्वदुष्टविनाशिनि ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ३॥
सर्व क्लेशहरे देवि (श्री)महाविष्णुस्वरूपिणी ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ४॥
अन्तर्यामिस्वरूपेण स्थिते सर्वत्र सर्वगे ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ५॥
भवनाश करे देवि भवभेषजदायिनी ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ६॥
अविद्यापटलध्वंसि महानन्देऽभयप्रदे ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ७॥
संसारतरणोपाये निर्जरैरूपसेविते ।
भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ८॥
जय जय अम्बिके सिद्धप्रदे । अभिष्टदायिनी मुक्तिप्रदे । अभयप्रदे भक्तकामदे । महानन्दे भवानी ।
सर्वव्यापके विष्णुरूपिणी । महाकाली दुःखहारिणी । अज्ञानपटलध्वंसकारिणी । देवी मृडानी सर्वगे ॥
श्री भुवनेश्वरी अष्टकम विशेषताये:
श्री भुवनेश्वरी अष्टकम के साथ-साथ यदि महाविद्या कवच का पाठ किया जाए तो, श्री भुवनेश्वरी अष्टकम का बहुत लाभ मिलता है| यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाता है, साधक भुवानेस्वारी अष्टकम करते समय भुवनेश्वरी गुटिका और भुवानेस्वारी कवच धारण करता है और भुवानेस्वारी माला से जाप करता है तो मनोवांछित कामना पूर्ण हो जाती है, यह अष्टकम का पाठ प्रतिदिन नियमित रूप से करने से घर में नकारात्मकता ऊर्जा नष्ट हो जाती है साथ ही, सकारात्मकता ऊर्जा प्रवेश होने लगती है | भुवनेश्वरी अष्टकम का पाठ करने से मनुष्य के जीवन की सभी प्रकार की बध्हाये दूर हो जाती है और बीमारियों से मुक्ति प्राप्त होने लगती है |और रुके कार्य भी पूर्ण होने लगते है |याद रखे इस अष्टकम पाठ को करने से पूर्व साधक अपनी पवित्रता बनाए रखे |