श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्/Srilakshmi Narsingh Dwadasanama Stotram
श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्/Srilakshmi Narsingh Dwadasanama Stotram
अस्य श्री लक्ष्मीनृसिंहद्वादशनामस्तोत्र महामन्त्रस्य वेदव्यासो भगवान् ऋषिः
अनुष्टुप् छन्दः , श्री लक्ष्मीनृसिंहो देवता, श्री लक्ष्मीनृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः
प्रथमं तु महाज्वालो द्वितीयं तूग्रकेसरी।
तृतीयं वज्रदंष्ट्रश्च चतुर्थं तु विशारदः ॥१॥
पञ्चमं नारसिंहशच षष्ठः कश्यपमर्दनः।
सप्तमो यातुहंता च अष्टमो देववल्लभः॥२॥
ततः प्रह्लादवरदो दशमोऽनंतहंतकः।
एकादशो महारुद्रः द्वादशो दारुणस्तथा॥३॥
द्वादशैतानि नृसिंहस्य महात्मनः।
मन्त्रराज इति प्रोक्तं सर्वपापविनाशनम् ॥४॥
क्षयापस्मारकुष्ठादि तापज्वर निवारणम्।
राजद्वारे महाघोरे संग्रामे च जलांतरे ॥५॥
गिरिगह्वरकारण्ये व्याघ्रचोरामयादिषु।
रणे च मरणे चैव शमदं परमं शुभम्॥६॥
शतमावर्तयेद्यस्तु मुच्यते व्याधिबन्धनात्।
आवर्तयन् सहस्रं तु लभते वाञ्छितं फलम् ॥७॥
Srilakshmi Narsingh Dwadasanama Stotram/श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्
Asya Shri Lakshmi Nrisimhadvadashanamastotra Mahamantrasya Vedavyaso Lord Rishi:
Anushtup chhandah, chanting of Sri Lakshminrisinho deity, Sri Lakshminrisinghpreetyarthe, appropriation:
First Tu Mahajwalo second Tugrakesari.
Tritiya Vajradanshtracha Chaturtam Tu Visharadah 1॥
Pancham Narasimhasach Shashtha Kashyapamardanah.
Saptamo Yatuhanta Cha Ashtamo Devavallabh॥2॥
Tatah Prahladvardo Dashamonanthantakah.
Ekadasho Maharudrah Dwadsho Darunastatha॥3॥
Dvadshaitani nrsimhasya mahatmanah.
Mantraraj iti proktam sarvapapavinashanam 4॥
Kshyapasmarakushtadi Tapajvar Nivaranam.
Rajdwara Mahaghore Sangrame Ch Jalantere 5॥
Girighvarakaranye vyaghrachoramayadishu.
Rane cha marne chaiva samadam paramam shubham॥6॥
Shatmavarteyedyastu Muchyate Vyadhibandhanat.
श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्/Srilakshmi Narsingh Dwadasanama Stotram विशेषताए:
श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम् के साथ-साथ यदि लक्ष्मी कवच का पाठ किया जाए तो, इस स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तोत्र का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तोत्र का पाठ करे|
श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम् के पाठ के साथ साथ लक्ष्मी चालीसा और नरसिंह अष्टकम का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही देवी की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस श्रीलक्ष्मी नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम् पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|