Strychnos Potatorum Benefits/निर्मली के लाभ
Different Names of Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits/निर्मली):
Sanskrit— Katak, payah, Prasadini
Bengali— Nirmali
Hindi— Nirmali
Latin— Strychnos potatorum linn
Punjabi— Nirmala
Brief Description of Strychnos Potatorum Benefits:
This Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits) tree is available in South India, Konkan, North Kannad, Karnataka, Travancore, Central Provinces and Bengal. The seeds are available with all the grocers. The size of the tree is mediocre. The bark of this is blackish and laciniated. Leaves are 2 to 3 inches long with small petioles 1 to one and half inch width and shining. Fruits are spherical and the flowers are small and yellowish. Ripen fruits turn blackish. Each fruit carry 1 to 2 hairy seeds. Seeds are circular like buttons.
Religious Significance of Strychnos Potatorum:
From every angle this plant is very useful for the human welfare. Therefore it has a religious significance. There are many use of this plant which solves the problems of human beings and help them to achieve targets. Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits) has a simple process to use which gives miraculous result. Some of the practices are being noted here under.
On the eighth day of the fortnight the person who collects the fruit of this plant and perform Yajna with honey, pure ghee, camphor, jiggery, rice, black sesame and Milo, all the problems of his life are eradicated. Wherever the Yajna is performed, the feeling of the people around changes. So it is not necessary to get the Yajna performed by Brahmins(v). This can be done by anybody. For Havan take the dry mango tree wood and with the help of camphor and ghee lit the fire. The sacrifices should be 108 in count. One can chant the spell of his own deity. Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits) will enhance wealth, keep peace in the surroundings.
Sanctified water through the seeds of this Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits) plant kills many germs and cures the suffering person. If the powder of the seeds is dropped into the pot of water, water becomes clean.
The house which is regularly performing Yajna with the wood of this Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits) tree along with ghee on Uttara Bhadra constellation all the ailments of the person are eradicated. This will throw away all the negative energies.
This following performance is too effective for the people having enmity with others. If one wants that enmity should be turned into friendship, following mascot will effect very promptly. This can be done in any auspicious time. Take a piece of white paper and write the mascot with red ink by sitting on a woolen mat facing west. Write the name of that person for whom this is being done. After writing pour some strong perfume in it. There after hang this on the branches of the tree.
Vaastu Significance of Water Cleaning Plant:
On the boundary of the house this tree is too auspicious. Plant it on the west direction. If it is already planted in different direction plant a tree of Nirgundi (Strychnos Potatorum Benefits) near it. All the evil effects will be removed.
Divine use of Strychnos Potatorum (Strychnos Potatorum Benefits):
Most divine part of this tree is its seeds. These are of the size of grams but a little flat and round. It easily won’t get crushed as it is little flexible. If the seeds are kept in pocket, the mind will have all positive thinking.
निर्मली के लाभ/Strychnos Potatorum Benefits
निर्मली के विभिन्न नाम (Strychnos Potatorum Benefits):
संस्कृत – कतक, पय: प्रसादिनी
हिंदी – निर्मली
पंजाबी – निर्मला
बंगाली – निर्मली
अंग्रेजी – Water cleaning plant
लेटिन – Strychnos potatorum linn f.
वानस्पतिक कुल – कारस्कर कुल
निर्मली का संक्षिप्त परिचय (Strychnos Potatorum Benefits):
निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) के वृक्ष दक्षिण भारत में कोंकण, उत्तरी कन्नड़, कर्नाटक से ट्रावंलकोर, दक्कन तथा मध्य भारत एवं बंगाल में जंगली रूप में पाए जाते है। निर्मली बीज सभी पंसारियों के यहाँ मिलते है। निर्मली के वृक्ष मध्यम आकार के होते है, जिनकी छाल कृष्णाभ तथा विदीर्ण होती है। पत्तियां 2 इंच से 3 इंच लम्बी, अवृंत या बहुत छोटे वृंतयुक्त रूपरेखा में 1 इंच से डेढ़ इंच तक चौड़ी, लटवाकार या अण्डाकार, आगे भाग पर नुकीली या कुछ लम्बे नोक वाली, रचना में कुछ चर्मिल तथा चिकनी और चमकीली होती है। फलक मूल गोलाकार या नुकीला होता है।
पुष्प छोटे तथा पीताभवर्ण के होते है, जो पत्रकोणों में समूहबद्ध या आधा इंच लम्बी मंजरियों में निकलते है। पुष्पवृंत बहुत छोटे होते है। फल कुचिले की तरह किन्तु अपेक्षाकृत छोटा तथा पकने पर काला हो जाता है। प्रत्येक फल में 1 से 2 कुचिले के समान किन्तु छोटे, उत्तरोदर, सूक्ष्म एवं मटमैले बीज निकलते है। बीजों पर नर्म रोम भी होते है। निर्मली के बीज बटन की तरह गोल गोल किन्तु दोनों पार्श्वो में उन्नतोदर होते है। परिधि में चारों ओर एक उन्नतधार सी होती है। कुचिले के बीज की तरह इसमें भी द्विदल होता है।
निर्मली का धार्मिक महत्व (Strychnos Potatorum Benefits):
यह प्रत्येक दृष्टिकोण से ही मनुष्य का कल्याण करने वाला वृक्ष है। इसी कारण से इसका धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। इसके ऐसे अनेक प्रयोग है जो मनुष्य को समस्याओं से दूर कर सुख समृद्धि एवं वैभव के द्वार पर पहुंचा देता है। यह प्रयोग अत्यंत सरल होने के साथ साथ चमत्कारिक रूप से लाभ देने वाले भी है। यहाँ ऐसे ही कुछ प्रयोगों के बारे में बताया जा रहा है जिनका आप प्रयोग करके लाभ ले सकते है –
अष्टमी तिथि को जो व्यक्ति निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) के फल, मधु, घृत, देशी कपूर, गुड, कच्चे चावल, काले तिल एवं जौ का हवन आम की लकड़ी जलाकर, उस पर करता है उसके यहाँ सब प्रकार के कष्टों का निवारण शीघ्र हो जाता है। जहां भी यह हवन होता है, वहां के रहने वालों की विचारधारा में उत्तम शुभ परिवर्तन आता है। इसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि हवन किसी ब्राम्हण द्वारा ही सम्पन्न कराया जाए। यह आप स्वयं भी कर सकते है। इसके लिए हवन पात्र की व्यवस्था करें। हवन पात्र नहीं मिलता है तो मिट्टी का खाली गमला भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इसमें सूखी आम की लकड़ी के छोटे टुकड़े करके डालकर शुद्ध घी द्वारा अग्नि प्रज्वलित करें।
इसके पश्चात उपरोक्त आहुतियाँ दें। यह कम से कम 108 अवश्य होनी चाहिए। प्रत्येक आहुति के साथ अपने इष्ट का मन्त्र जप भी करते जाएँ। इस हवन के प्रभाव से उपरोक्त लाभ के साथ साथ सुख समृद्धि में भी वृद्धि होती है।
निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) के बीजों के माध्यम से शुद्ध किया हुआ जल अनेक व्याधियों के जीवाणुओं को समाप्त कर आरोग्य प्रदान करता है। भरे हुए पात्र में निर्मली के बीजों को पीसकर डालने से जल की सारी गंदगी नीचे बैठ जाती है और जल पूरी तरह से साफ़ एवं शुद्ध हो जाता है।
जिस घर में निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) की लकड़ी का दहन गाय का घी मिलाकर उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में किया जाता है, वहां बिमारियों का सिलसिला टूट जाता है। इसके लिए आप पूरी तरह सूखा कंडा प्राप्त करें। उसकी उल्टी तरफ समतल सतह पर निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) की लकड़ियों को छोटे टुकड़ों में करके रख लें। उसके ऊपर गाय का घी डाल कर अग्नि प्रज्ज्वलित करें।
ऐसा आप घर के मुख्य कक्ष में करें। जब लकड़ियां जल जायेंगी तब कंडा सुलगता रहेगा। इस कंडे को एक चौड़े पात्र में रखकर घर के प्रत्येक कमरे में धुआं दें। एक कमरे में आकर कुछ समय तक वहां रुकें। तत्पश्चात दूसरे कमरे में जाएँ। ऐसा सभी कमरों में करें। ऐसा करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है और वहां रहने वाले स्वस्थ जीवन व्यतीत करते है।
यह एक प्रभावी यंत्र प्रयोग है। आपके द्वारा अच्छा व्यवहार करने के उपरांत भी अनेक व्यक्ति आपके प्रति विद्वेष की भावना रखते है। अगर आप चाहते है कि वह अपनी इस भावना का त्याग करके आपके साथ अच्छे सम्बन्ध रखें तो आप इस यंत्र का प्रयोग करके लाभ प्राप्त कर सकते है। इस प्रयोग के करने से आपके प्रति विद्वेष रखने वाले का ह्रदय परिवर्तन होगा। यंत्र का निर्माण किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। यंत्र लेखन के लिए लाल स्याही काम में लें। कलम के रूप में किसी भी कलम का प्रयोग किया जा सकता है। यंत्र का निर्माण सादा कागज पर करें। सूती अथवा ऊनी आसन पर पश्चिम की तरफ मुख करके बैठें। अब यंत्र का लेखन करें।
जहां अमुक शब्द लिखा है, वहां उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसके लिए आपने उपाय किया है। लेखन के पश्चात यंत्र पर कोई भी तीव्र सुगंध वाला इत्र लगा दें। अब इस यंत्र को धागे की सहायता से निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) की शाखा पर लटका दें। ईश्वर कृपा से शीघ्र ही इस यंत्र प्रयोग का प्रभाव दिखाई देने लगेगा।
निर्मली का वास्तु में महत्व (Strychnos Potatorum Benefits):
घर की सीमा में निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) के वृक्ष का होना शुभकारक है। इसे घर की सीमा में पश्चिम दिशा में लगाए। अन्य दिशा में होने पर इसके पास ही निर्गुण्डी का पौधा लगा देने से इसका कुप्रभाव समाप्त होता है।
निर्मली का दिव्य प्रयोग (Strychnos Potatorum Benefits):
निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) का सबसे दिव्य पदार्थ इसके बीज होते है। यह बीज लगभग चने के बराबर किन्तु चपटापन लिए हुए गोल होते है। कूटने पर आसानी से टूटते नहीं है। एक प्रकार से यह नर्म रबर के समान होते है। इन्हें किसी खुरदरे तल पर घिसकर पेस्ट बनाकर गंदे पानी में मिला दिया जाए तो उसकी सारी गंदगी नीचे बैठ जाती है तथा पानी साफ़ हो जाता है। नर्मदा के किनारे रहने वाले अनेक गाँवों में जल को इन्हीं बीजों के द्वारा साफ किया जाता है। वैसे निर्मली (Strychnos Potatorum Benefits) के बीजों को सदैव साथ में रखने वाले के मन में कुविचार नहीं आते है।