Tantroktdevi Suktam, तंत्रोक्त्देवी सूक्तं

तंत्रोक्त्देवी सूक्तं | Tantroktdevi Suktam

तंत्रोक्त्देवी सूक्तं (Tantroktdevi Suktam)

१.नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:

नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म ताम ।।

अर्थ- देवी को नमस्कार है, महादेवी शिवा को सर्वदा नमस्कार है। प्रकृति एवं भद्रा को प्रणाम है। जगदम्बा को नियमपूर्वक नमस्कार है

२.रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नम:

ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नम: ।।- Tantroktdevi Suktam

अर्थ- रौद्रा को नमस्कार है, नित्या, गौरी एवं धात्री को बारम्बार नमस्कार है। ज्योत्स्नामयी, चन्द्ररूपिणी एवं सुखस्वरूपा देवी को सतत प्रणाम है।

३.कल्याण्यै प्रणतां वृध्द्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नम:

नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नम: ।।- Tantroktdevi Suktam

अर्थ- शरणागतों का कल्याण करने वाली वृद्धि एवं सिद्धिरूपा देवी को बारम्बार नमस्कार है। नैऋती (राक्षसों की लक्ष्मी) राजाओं की लक्ष्मी तथा शर्वाणी (शिवपत्नी) -स्वरूपा आप जगदम्बा को बारम्बार नमस्कार है।

४.दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै

ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नम: ।।

अर्थ- दुर्गा, दुर्गम संकट से बाहर निकलने वाली,  सबकी आधारभूता, सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रादेवी को सर्वदा नमस्कार है।

५.अति सौम्याति-रौद्रायै नतास्तस्यै नमो नम:

नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्य नमो नम: ।।

अर्थ- अत्यंत सौम्य तथा अत्यंत रौद्र रूपा देवी को [मैं] नमस्कार करता हूँ, उन्हें हमारा बारम्बार प्रणाम है, जगत की आधारभूता कृति देवी को बारम्बार नमस्कार है

६.या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।- तंत्रोक्त्देवी सूक्तं

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में विष्णुमाया के रूप में कही जाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

७.या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

८.या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।- तंत्रोक्त्देवी सूक्तं

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

९.या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में निद्रा रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१०.या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में क्षुधा (भूख ) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

११.या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में छाया रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१२.या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१३.या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में तृष्णा (प्यास) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१४.या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में क्षान्ति (क्षमा) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है।

१५.या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में जाति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१६.या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में लज्जा रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१७.या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में शान्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१८.या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में श्रद्धा रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

१९.या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में शांति  रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२०.या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में लक्ष्मी रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२१.या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में वृत्ति (स्वभाव) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२२.या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में स्मृति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२३.या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में दया रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२४.या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में तुष्टि रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२५.या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में माता रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२६.या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में भ्रान्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है

२७.इन्द्रियाणा-मधिप्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या

भूतेषु सततं तस्यै वियाप्तिदेव्यै नमो नम:

अर्थ- जो जीवों के इन्द्रिय वर्ग की अधिष्ठात्री देवी एवं सब प्राणियों में सदा व्याप्त रहने वाली हैं, उन व्याप्ति देवी को बारम्बार नमस्कार है

२८.चितिरूपेण या कृत्स्न-मेतद्-व्याप्य स्थिता जगत्

नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यै नमो नम: ।।

अर्थ- जो देवी चैतन्य रूप से सम्पूर्ण जगत को व्याप्त करके स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है