Tara Pratyangira Kavach, तारा प्रत्यंगिरा कवच

Tara Pratyangira Kavacham | तारा प्रत्यंगिरा कवच

Tara Pratyangira Kavacham (तारा प्रत्यंगिरा कवच): Tara Pratyangira is a very powerful Maha Kavach. The blessings of Mahavidya Tara Devi remain upon the seeker by reciting this kavach. Due to which he starts getting protection from all the Evil powers, Tantra-mantra obstacles, Graha dosha etc. It is believed that those who regularly recite Tara Pratyangira Kavacham. Mental stress, Anxiety, Fear, Pain, Sorrow etc. start going away from their lives. Maa protects him from the upcoming obstacles. If someone is suffering from enemies, fear from enemies, there is a fear of getting trapped in a conspiracy made by enemies. In this situation he should recite Tara Pratyangira Kavacham continual.

The conspiracy made by the enemies starts getting destroyed by doing this. Enemies, start following him like animals and become his friends. This kavach is also considered extremely beneficial for those people, who are businessmen, who have to face continuous losses in their business. If seeker wears Pratyangira Gutika while reciting Tara Pratyangira Kavacham, their business starts growing rapidly. Business starts reaching its peak. You start getting financial benefits, due to which all ways of business progress, success and prosperity start opening.

तारा प्रत्यंगिरा कवच | Tara Pratyangira Kavacham

|| ईश्वर उवाच ||

ॐ तारायाः स्तम्भिनी देवी मोहिनी क्षोभिनी तथा । हस्तिनी भ्रामिनी रौद्री संहारण्यापि तारिणी ॥

शक्तयोहष्टौ क्रमादेता शत्रुपक्षे नियोजिताः । धारिता साधकेन्द्रेण सर्वशत्रु निवारिणी ॥

|| कवचमारम्भम् ||

ॐस्तम्भिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् स्तम्भय स्तम्भय ॥

ॐ क्षोभिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् क्षोभय क्षोभय ॥

ॐ मोहिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् मोहय मोहय ॥

ॐजृम्भिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् जृम्भय जृम्भय ॥

ॐ भ्रामिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् भ्रामय भ्रामय ॥

ॐ रौद्री स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् सन्तापय सन्तापय ॥

ॐसंहारिणी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् संहारय संहारय ॥

ॐ तारिणी स्त्रें स्त्रें सर्वपद्भ्यः सर्वभूतेभ्यः सर्वत्र रक्ष रक्ष मां स्वाहा ॥

|| फलश्रुति ||

य इमां धारयेत् विद्यां त्रिसन्ध्यं वापि यः पठेत् । स दुःखं दूरतस्त्यक्त्वा ह्यन्याच्छ्त्रुन् न संशयः ॥

रणे राजकुले दुर्गे महाभये विपत्तिषु । विद्या प्रत्यङ्गिरा ह्येषा सर्वतो रक्षयेन्नरं ॥

अनया विद्यया रक्षां कृत्वा यस्तु पठेत् सुधी । मन्त्राक्षरमपि ध्यायन् चिन्तयेत् नीलसरस्वतीं ।

अचिरे नैव तस्यासन् करस्था सर्वसिद्धयः, ॐ ह्रीं उग्रतारायै नीलसरस्वत्यै नमः ॥

इमं स्तवं धीयानो नित्यं धारयेन्नरः । सर्वतः सुखमाप्नोति सर्वत्रजयमाप्नुयात् ॥

नक्कापि भयमाप्नोति सर्वत्रसुखमाप्नुयात् ॥

॥ इति रुद्रयामले श्रीमदुग्रताराय प्रत्यङ्गिरा कवच समाप्तम् ॥

Tara Pratyangira Kavacham | तारा प्रत्यंगिरा कवच

|| Ishwar Uvacha ||

Om Taraya: Stambhini Devi Mohini Ksobhini and.

Hastini Bhramini Raudri Samharanyapi Tarini.

Shaktyohashtou Kramadeta Shatrupaksha Niyojanaah.

Dharita Sadhkendra Sarva Enemy Nivarini .

|| Kavachmarambam ||

Om Stambhini Stren Stren Mam Shatrun Stambhaya Stambhaya

Om Kshobhini Stren Stren Mam Shatrun Kshobhaya Kshobhaya

Om Mohini Stren Stren Mam Shatrun Mohaya Mohaya

Om Jubbhini Stren Stren Mam Shatrun Jubbhaya Jubbhaya

Om Bhramini Stren Stren Mam Shatrun Bhramaya Bhramaya

Om Rudri Stren Stren Mam Shatrun Santapaya Santapaya

Om Sanharini Stren Stren Mam Shatrun Sanharaya Sanharaya

Om Tarini Stren Stren Sarvapadbhyah Sarvabhutebhyah Sarvatra Raksh Raksh Maam Svahaa

|| Falashruti ||

Ya Imam Dharayet Vidyam Trisandhyam Vapi Yah Pathet  Sa Duhkham Duratastyaktva Hyanyachtrun Na Sanshayah

Rane Rajkule Durge Mahabhaye Vipattishu Vidya Pratyangira Hyesha Sarvato Rakshayennaram

Anaya Vidyaya Raksham Krutva Yastu Pathet Sudhi Mantraksharamapi Dhyayan Chintayet Nilasarasvatim

Achire Naiv Tasyasan Karastha Sarvasiddhayah, Om Hrim Ugrataraye Nilasarasvatyai Namah

Imam Stavam Dhiyaano Nityam Dharayennarah Sarvatah Sukhamaapnoti Sarvatrajayamaapnuyat

Nakkaapi Bhayamaapnoti Sarvatrasukhamaapnuyat

Iti Rudrayamale Shrimadugrataray Pratyangira Kavach Samaaptam

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तारा प्रत्यंगिरा कवच के लाभ:

तारा प्रत्यंगिरा एक बहुत ही शक्तिशाली महा कवच हैं। इस कवच का पाठ करने से साधक पर महाविधा तारा देवी की कृपा दृष्टि बनी रहती है, जिससे उसे समस्त असुरी शक्ति, तंत्र-मन्त्र बाधा, ग्रह दोष आदि से रक्षा प्राप्त होने लगती हैं। ऐसा माना जाता हैं कि जो लोग नियमित रूप से तारा प्रत्यंगिरा कवच का पाठ करते हैं, उनके जीवन से मनसिक तनाव, चिंता, भय, कष्ट, दुख आदि दूर होने लगते हैं, आने वाली बाधाओं से माँ उसकी रक्षा करती हैं। यदि कोई शत्रुओं से पीड़ित हो, शत्रुओं का भय हो, शत्रुओं द्वारा बनाये षड्यंत्र में फसने का डर हो, तो उसे नित्य तारा प्रत्यंगिरा कवच का पाठ करना चाहियें

ऐसा करने से शत्रुओं दुवारा बना षड्यंत्र नष्ट होने लगता है, शत्रु पशु की भातिं, उसके आगे पीछे घुमने लगते है, उसके मित्र बन जाते है। यह कवच उन लोगो के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता हैं, जो की व्यवसायी हैं, जिनको अपने व्यवसाय में लगातार हानि का सामना करना पड़ता हैं। तारा प्रत्यंगिरा कवच का पाठ करते समय यदि वे प्रत्यंगिरा गुटिका धारण करते हैं, तो व्यवसाय में तेजी से बढ़ोतरी होने लगती हैं, व्यवसाय चरम सीमा तक पहुँचने लगता हैं। धन का लाभ मिलने लगता हैं, जिससे व्यवसाय प्रगति, सफलता तथा समृद्धि के सभी रास्ते खुलने लग जाते हैं।