Tulsi Kavacham | तुलसी कवच
Tulsi Kavacham (तुलसी कवच): The person gets immense blessings of Lord Vishnu by reciting this kavach. If Tulsi Kavacham is recited with complete rituals, then starts getting very auspicious results. It is observed that nowadays everyone must recites this kavach with worship Tulsi Mata plant in their homes. By reciting Tulsi Kavacham, one gets protection from all Ghost-spirit obstacles, Tantra-mantra obstacles, Black magic, Evil eye, Sorcery, Serious diseases etc. People suffering from serious diseases for a long time start recovering slowly by reciting Tulsi Kavacham. All health related problems start getting resolved, body and soul become pure and disease free, due to which positive changes are seen in life.
If an unmarried girl recites this kavach, she gets the good fortune of getting a good groom. Girl starts getting lots of happiness, due to which the respect of the girl increases in her family. Recitation of Tulsi Kavacham is considered extremely beneficial for those people whose mind keeps wandering somewhere or they face difficulty concentrating Such as, children are not able to concentrate their mind quickly in studies. Due to which they get less marks in the examination. And have to face failure again and again. In such a situation, if Tulsi Kavacham is recited continual, the mind becomes calm and pure. Gradually start getting success in all the tasks.
तुलसी कवच | Tulsi Kavacham
अस्य श्री तुलसीकवच स्तोत्रमंत्रस्य ।
श्री महादेव ऋषिः । अनुष्टुप्छन्दः ।
श्रीतुलसी देवता । मन ईप्सितकामनासिद्धयर्थं जपे विनियोगः ।
तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी ।
शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ।। १ ।।
दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम ।
घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम ।। २ ।।
जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम ।
स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा ।। ३ ।।
पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी ।
कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता ।। ४ ।।
जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता ।
नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी ।। ५ ।।
संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे ।
नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा ।। ६ ।।
इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम् ।
मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च ।। ७ ।।
मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत् ।
वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम् ।। ८ ।।
द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये ।। ९ ।।
अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम् ।
पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम् ।। १० ।।
राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये I
भक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि ।। ११ ।।
जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः ।
उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः ।। १२।।
तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम् ।
सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम् ।। १३ ।।
मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम् ।
या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत् ।। १४ ।।
सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम् ।
वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः ।। १५ ।।
साSपिसंवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम् ।
अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक ।। १६ ।।
पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः ।
कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम ।। १७ ।।
श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत् ।
किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः ।। १८ ।।
यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम् ।
मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया ।। १९ ।।
जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः ।
मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः ।। २० ।।
।। इति श्रीब्रह्मांडपुराणे तुलसीमाहात्म्ये तुलसीकवचं नाम स्तोत्रं श्रीतुलसी देवीं समर्पणमस्तु ।।
Tulsi Kavacham | तुलसी कवच
Asya Shri Tulsikavach Stotramantrasya ।
Shri Mahadev Rishih । Anushtuphhandah ।
Shritulsi Devta । Man Insitakamanasiddhayartham Jape Viniyogah ।
Tulsi Shrimahadevi Namah Pankajadharini ।
Shiro Me Tulsi Patu Bhalam Patu Yashasvini ।। 1 ।।
Drshau Me Padmanayana Shrisakhi Shravane Mam ।
Ghranam Patu Sugandha Me Mukham Ch Sumukhi Mam ।। 2 ।।
Jivam Me Patu Shubhada Kantham Vidyamayi Mam ।
Skandhau Kahvarini Patu Hridayam Vishnuvallabha ।। 3 ।।
Punyada Me Patu Madhyam Nabhi Saubhagyadayini ।
Katim Kundalini Patu Uru Naradavandita ।। 4 ।।
Janani Januni Patu Janghe Sakalavandita ।
Narayanapriya Padau Sarvangn Sarvarakshini ।। 5 ।।
Sankate Vishame Durge Bhaye Vade Mahaahave ।
Nityam Hi Sandhyayoh Patu Tulsi Sarvatah Sada ।। 6 ।।
Iteedam Paramam Guhyam Tulasyah Kavachaamrutam ।
Martyanammrutarthay Bhitanambhayay Ch ।। 7 ।।
Mokshay Ch Mumukshoonam Dhyayinam Dhyanayogkrut ।
Vashay Vashyakamanam Vidyaye Vedavadinam ।। 8 ।।
Dravinay Daridran Papinam Papashantaye ।। 9 ।।
Annay Kshudhitanam Ch Svargay Svargamichatam ।
Pashavyam Pashukamanam Putradam Putrakankshinam ।। 10 ।।
Rajyayabhrashtarajyanamashantaanam Ch Shantaye ।
Bhaktyartham Vishnubhaktanam Vishnau Sarvantaratmani ।। 11 ।।
Japyam Trivargasidhyartham Gruhasthen Visheshatah ।
Udyantam Chandakiranamupasthay Krutanjalih ।। 12 ।।
Tulsikanane Tishtannasinau Va Japedidam ।
Sarvankamanavapnoti Tathaiv Mam Sannidhim ।। 13 ।।
Mam Priyakaram Nityam Haribhaktivivardhanam ।
Ya Syanmritpraja Nari Tasya Angn Pramarjayet ।। 14 ।।
Saa Putram Labhate Dirghajivinam Chapyaroginam ।
Vandhyaya Marjayedangn Kushairmantren Sadhakah ।। 15 ।।
Saaspisamvatsaradev Garbham Dhatte Manoharam ।
Ashvattherajavashyaarthi Japedagneh Surupabhak ।। 16 ।।
Palashamule Vidyaarthi Tejorthyabhimukho Raveh ।
Kanyaarthi Chandikagehe Shatruhatyai Gruhe Mam ।। 17 ।।
Shrikamo Vishnugehe Ch Udyane Stri Vasha Bhavet ।
Kimatra Bahunokten Shrunu Sainyesh Tatvatah ।। 18 ।।
Yam Yam Kamamabhidhyayett Tam Prapnotyasanshayam ।
Mam Gehagatastvam Tu Tarakasya Vadhecchhaya ।। 19 ।।
Japan Stotram Ch Kavacham Tulsigatamanasah ।
Mandalaattarakam Hanta Bhavishyasi Na Sanshayah ।। 20 ।।
।। Iti Shribramandpurane Tulsimahatmye Tulsikavacham Nam Stotram Shritulsi Devim Samarpanamastu ।।
तुलसी कवच के लाभ:
तुलसी कवच का पाठ करने से भगवान विष्णु की अपार कृपा प्राप्त होती हैं। तुलसी कवच का पाठ यदि पुरे विधि-विधान से किया जाए, तो अत्यंत शुभ फल की प्राप्ति होने लगती हैं। ऐसा देखा गया हैं, कि आजकल सभी लोग अपने घरों में तुलसी माता के पौधे की पूजा करने के साथ तुलसी कवच का पाठ अवश्य करते हैं। तुलसी कवच का पाठ करने से समस्त भूत-प्रेत बाधा, तंत्र-मन्त्र बाधा, काला जादू, बुरी नजर, टोना-टोटका, गंभीर बीमारियों आदि से सुरक्षा प्राप्त होती हैं। काफी लम्बे समय से गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति तुलसी कवच का पाठ करने से धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं। स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएँ दूर होने लगती हैं, शरीर और आत्मा शुद्ध तथा रोगमुक्त होने लगती हैं, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
यदि कोई अवैवाहित कन्या तुलसी कवच का पाठ करती हैं, तो उसे अच्छे वर की प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त होता हैं। कन्या को भरपूर खुशियाँ मिलने लगती हैं, जिससे उसके घर-परिवार में उस कन्या का सम्मान बढ़ता है। तुलसी कवच का पाठ उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता हैं, जिन लोगों का मन कही न कही भटकता रहता हैं या वे ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई का सामना करते हैं, जैसे बच्चे पढ़ाई में जल्दी से अपने मन को एकाग्र नही कर पाते, जिससे परीक्षा में उन्हें कम अंक प्राप्त होते हैं, तथा बार-बार असफलता का सामना करना पड़ता हैं। ऐसी स्थिति में, यदि तुलसी कवच का नित्य पाठ किया जाए, तो मन शांत और पवित्र होने लगता हैं तथा सभी कार्यो में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती हैं।