Uttanpadasana Benefits | उत्तानपादासन के लाभ
Uttanpadasana Benefits/उत्तानपादासन: Uttana padasana (Uttanpadasana Benefits) is an intense stretch of the legs. The terms comes from the Sanskrit uttana, meaning “intense stretch”, pada, meaning “leg” or “foot”, and asana meaning “pose” or “posture”.
To enter the pose, lie on the floor backside down and raise the hands over the head. Keeping the feet together tightly at the arches with toes pointed towards the ceiling, lift both legs in the air on an inhale, keeping the torso on the floor and allowing the lower back to arch slightly, if needed. The chin should be tucked towards the neck. For the advanced practice of this pose, lift the torso off the floor to whatever degree is comfortable, dropping the head carefully to touch the floor, if possible. For both the beginner and advanced variations of this pose, keep the legs together and straight, holding the breath for as long as is comfortable (do not bend the knees).
Method of Uttanpadasana:
Lie flat on your back as shown in the above image and breathe normally. Place your hand on either side or palms should be facing down. Inhale slowly and lift the legs at 45 – 60 degree from the ground. Hold this posture for some time (15-20 sec) to feel pressure in lower abs. While exhaling (Breath out) relaxes your posture by lowering legs i.e. (Starting position) Repeat this for 3-4 times daily.
Uttanpadasana Benefits:
- Cures stomach disorders like acidity, indigestion and constipation.
- Uttanpadasana strengthens the abdominal organs.
- Strengthens the back and hip and thigh muscles.
- Uttanpadasana (Uttanpadasana Benefits) helpful for those suffering from gas problems, acidity, arthritis pain, heart problems and waist pain.
- Cures back pain. Helps to reduce tone the stomach muscles.
- Helpful for losing weight. Good for diabetes patients.
- Uttanpadasana (Uttanpadasana Benefits) improve the function of digestive systems. Remove gases from the intestine.
- Good for increasing blood circulation around the body. Help to reduce weight in the abdomen area, thighs and hips.
- Uttanpadasana improve the function of reproductive organs.
उत्तानपादासन के लाभ | Uttanpadasana Benefits
उत्तानपादासन के लाभ (Uttanpadasana Benefits): उत्तन पादासन पैरों का एक तीव्र खिंचाव है। ये शब्द संस्कृत उत्तन से आता है, जिसका अर्थ है “तीव्र खिंचाव”, जिसका अर्थ “पैर” और आसन अर्थ “मुद्रा” है।
मुद्रा में प्रवेश करने के लिए, पीछे की ओर फर्श पर सो जाएँ और सिर पर हाथ उठाएं। पैर की उंगलियों के साथ मेहराबों पर कसकर एक साथ रखकर छत की तरफ इशारा करते हुए, हवा में दोनों पैरों को एक सांस पर उठाएं, धड़ को फर्श पर रखें और यदि आवश्यक हो तो निचले हिस्से को थोड़ा छुट दें। ठोड़ी को गर्दन की ओर फसने चाहिए। इस मुद्रा के उन्नत अभ्यास के लिए, जो भी डिग्री आरामदायक है, फर्श से धड़ उठाएं, यदि संभव हो तो फर्श को छूने के लिए सिर को ध्यान से छोड़ दें। इस मुद्रा के शुरुआती और उन्नत बदलाव दोनों के लिए, पैरों को एक साथ और सीधे रखें, जब तक आरामदायक हो (सांसों को झुकाएं) तक सांस पकड़ें।
उत्तानपादासन विधि:
पीठ के बल दोनों पैरों की एड़ियों को मिलाकर जमीन पर लेट जाओ फिर हाथों को नितम्बो पर लगाओ तथा ऊपर और नीचे के भाग को जमीन से 1 फुट ऊपर उठाओ, हाथों को नितम्बों से हटाकर जंघा के निकट सीधा रखो। केवल कमर का भाग जमीन से लगा रहे, परन्तु कमर के ऊपर तथा नीचे का भाग तनिक भी जमीन से स्पर्श न करें।
उत्तानपादासन के लाभ:
इस आसन को प्रत्येक व्यक्ति सरलता पूर्वक कर सकता है। इसके लाभ निम्नलिखित है –
- यह उत्तानपादासन (Uttanpadasana Benefits) 72000 नाड़ियों के नाभि केंद्र को ठीक करके निम्नलिखित रोगों को दूर करता है – आमाशय की जलन, पेट का दर्द, वायु विकार, अपच, कब्ज, अतिसार, खट्टी मीठी डकार, वमन आदि।
- मनुष्य की घबराहट को दूर करता है। यह उत्तानपादासन स्नायु तन्त्र को क्रियाशील बनाता है।
- इस आसन द्वारा मेरुदण्ड तथा शरीर की आंतरिक कोशिकाएं पुष्ट तथा सशक्त बनती है।
- उत्तानपादासन (Uttanpadasana Benefits) द्वारा पीठ का दर्द तथा अन्य विकार दूर होते है।
- इस आसन के अभ्यास द्वारा टांगों का झनाना तथा पांवों का सो जाना रुक जाता है।
- इस उत्तानपादासन द्वारा नया रक्त बनना आरम्भ हो जाता है।
- यदि नाभि अपने स्थान से हट जाए तो उसको भी ठीक करता है।