Vastu Basic Rules | वास्तु बेसिक रूल्स
Vastu Basic Rules (वास्तु बेसिक रूल्स): After the decision of land building, slope and direction of land etc., construction of various parts of the building such as windows, columns, wall etc. is important.
Stairs According To Vastu Basic Rules:
According to Vastu Basic Rules the construction of the stairs should always be done in such a way that it should move from east to west and from north to south. Stairs should be in the south or south-western part of the house, the section of the staircase is heavy. It must be noted that it should not be in the north eastern part of the building. According to Vastu Basic Rules stairs located in the northwestern part should be from east to west and the rest upper half in the upper part should be west to east.
Similarly, the stairs located in the south west part can be from north to south or east to west and rest of the half upper side should be from east to west or south to north direction. According to Vastu Basic Rules the stairs should always be from north to south and east to west, after which they can go in any direction.
According to the Vastu Basic Rules general rule the number of stairs should be odd, such as 7, 9, 11, 13, 15, 17 etc. Stairs should be wide and light, it should also be noted that the staircases should not be in front of the main entrance, because the opportunities for the economic progress of the land owner is diminished by the stairs leading right from the main entrance inside the building. On the contrary, if the down stairs are located in front of the main entrance of the building, then the house owner gets the chance of progress in life.
Larger curved stairs are considered to be great. The spiral stairwell is fatal and causes problems. According to Vastu Basic Rules stairs located in the middle of the house can cause home or health related problems. When creating a house, it is mandatory to take care of the fact that after standing at the main entrance of the house, the person does not see the stairs inside the house otherwise they will be deemed to be defective.
Windows According To Vastu Basic Rules:
Air is transmitted through the windows in the house. Therefore, the windows should be in such a location in the room where the pure air can be entered. According to the Vastu Basic Rules, the window is called the eyes of the house. The window should open outside the house. The windows that open on the inside are inauspicious and inhibit the progress.
The relationship between the window and the door is like the relationship between the children and the parents. If the window size is larger than the size of the door, then the atmosphere of family unrest will be built. According to Vastu Basic Rules the window should be in proportion to the size of the gate. Also in one room there should be one or two windows, three or more windows are not auspicious.
Column According To Vastu Basic Rules:
According to Vastu Basic Rules the column should be located along the side of the room and inside the wall, the corner edge of the column is not considered to be good, the edge of the column if located in the right corner of the wall in front of the entrance, then the master’s marital life will be in trouble. The spherical column is superior to the square or rectangular column. Number of columns in the house should be even numbers like 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14 etc.
Vastu According To Vastu Basic Rules:
According to Vastu Basic Rules if the number of stairs, pillars, windows and doors is divided by 3, then if one remains remainder then Indra if remains two remainder it is time and if the remainder is 3 left, then ‘king’ is the noun. ‘Indra’ and ‘King’ are the auspicious and ‘times’ is the inauspicious.
Beam According To Vastu Basic Rules:
In ancient times, the large gathering of Rajprasad Deities etc. was made by putting beams above the columns to form the home. Currently through RCC this is done on the two pillars located in the walls, a large beam is constructed and large wide hall is constructed. That is, the weight of the whole building remains on the beam, load bearing beam produces pressure, so under the beam, the door, furniture, dining table and bed should not be made. A psychological pressure is created on the house owner with the beam located above the main entrance of the house, which can lead to a disruption and loss in the business.
Vastu According To Vastu Basic Rules:
Beds below the beam produce health related problems. Headache with the beam located above the head, due to the beam above abdominal portion causes abdominal disease and on top of the feet, it is possible to have vaginal bleeding among women of the house. According to Vastu Basic Rules in the kitchen there is a fear of fire if the beam is above the stove or gas. Also, the chances of getting the best opportunity in the job decreases.
वास्तु बेसिक रूल्स | Vastu Basic Rules
वास्तु बेसिक रूल्स: भवन की भूमि परीक्षण, ढलान, भूखण्ड की दिशा आदि के निर्णय के बाद भवन के विभिन्न भाग जैसे खिड़कियाँ, स्तम्भ, दीवार आदि का निर्माण महत्वपूर्ण होता है।
वास्तु बेसिक रूल्स अनुसार सीढियां:
वास्तु बेसिक रूल्स (Vastu Basic Rules) नियम के अनुसार सीढियों का निर्माण सदैव इस प्रकार करना चाहिए, कि वह पूर्व से पश्चिम की ओर तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाली होनी चाहिए। सीढियां मकान के दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम भाग में होनी चाहिए, सीढियों वाला भाग भारी होता है। यह अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह भवन के उत्तर पूर्वी हिस्से में नहीं होनी चाहिए।
उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित सीढियां पहले पूर्व से पश्चिम की ओर एवं शेष आधे ऊपरी भाग में पश्चिम से पूर्व की तरफ होनी चाहिए। इसी प्रकार दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित सीढियां पहले उत्तर से दक्षिण की ओर या पूर्व से पश्चिम की ओर एवं शेष ऊपरी आधे भाग में क्रमशः पूर्व से पश्चिम की ओर एवं शेष ऊपरी आधे भाग में क्रमशः पूर्व से पश्चिम या दक्षिण से उत्तर की तरफ हो सकती है। सीढियां सदैव उत्तर से दक्षिण की ओर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर होनी चाहिए उसके उपरान्त वे किसी भी दिशा में जा सकती है।
वास्तु बेसिक रूल्स (Vastu Basic Rules) नियम अनुसार सीढियों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे 7, 9, 11, 13, 15, 17 आदि। सीढियां चौड़ी तथा प्रकाशवान होनी चाहिए, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सीढियां मुख्य द्वार के सामने न हो, क्योंकि भवन के अन्दर मुख्य द्वार के ठीक सामने से जाने वाली सीढियों से ग्रह स्वामी के आर्थिक प्रगति के अवसर क्षीण हो जाते है। इसके विपरीत भवन के मुख्य द्वार के सामने अपवर्ती सीढीयां स्थित हों, तो ग्रहस्वामी को जीवन में प्रगति के आकस्मिक अवसर प्राप्त होते है।
बड़े हाल में घुमावदार सीढी उत्तम मानी जाती है। सर्पिलाकार सीढी घातक होती है तथा ये समस्याओं को उत्पन्न करती है। घर के मध्य में स्थित सीढीयां घर के सदस्यों के ह्रदय या स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का कारण बन सकती है। वास्तु बेसिक रूल्स (Vastu Basic Rules) ग्रह निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य है कि घर के मुख्य द्वार पर खड़े होकर व्यक्ति को घर के भीतर की सीढी दिखाई न दे अन्यथा वे दोषयुक्त मानी जाएंगी।
वास्तु बेसिक रूल्स नियम अनुसार खिड़कियाँ:
वायु का संचरण मकान में खिडकियों के माध्यम से होता है। अत: खिड़कियाँ कमरे के ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जहां से शुद्ध वायु का प्रवेश हो सके। वास्तु बेसिक रूल्स (Vastu Basic Rules) नियम अनुसार खिड़की को घर की आँख कहा जाता है। खिड़की के पल्ले बाहर की तरफ खुलने चाहिए। अन्दर की तरफ खुलने वाले पल्ले वाली खिड़कियाँ अशुभ होती है एवं उन्नति में अवरोध उत्पन्न करती है।
खिड़की एवं द्वार का सम्बन्ध सन्तान एवं माता पिता के रिश्तों के जैसा होता है। यदि खिड़की का आकार द्वार के आकार से बड़ा है, तो पारिवारिक अशांति का वातावरण निर्मित होगा। खिड़की का आकार द्वार के आकार के अनुपात में होना चाहिए। साथ ही एक कक्ष में एक या दो खिड़कियाँ होनी चाहिए, तीन या अधिक खिड़कियाँ शुभ नहीं होती है।
वास्तु बेसिक रूल्स नियम अनुसार स्तम्भ:
स्तम्भ कमरे के किनारे तथा दीवार के अंदर स्थित होना चाहिए, स्तम्भ का कमरे में निकला हुआ कोना अच्छा नहीं माना जाता, स्तम्भ का धारदार निकला हुआ किनारा यदि द्वार के सामने वाली दीवार के दाएं कोने में स्थित हो, तो घर के स्वामी के दाम्पत्य जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। गोलाकार स्तम्भ, चकोर या आयताकार स्तम्भ की तुलना में श्रेष्ठ होता है। घर में स्तम्भों की संख्या 2,4, 6,8,10,12,14 आदि सम संख्या होनी चाहिए।
वास्तु बेसिक रूल्स नियम अनुसार:
सीढीयाँ, खम्भे, खिड़कियाँ एवं दरवाजे की कुल संख्या को 3 से भाग देने पर यदि एक शेष बचे तो ‘इंद्र’ दो शेष बचे तो ‘काल’ तीन शेष बचे तो ‘राजा’ संज्ञा होती है। ‘इंद्र’ एवं ‘राजा’ संज्ञा शुभ एवं ‘काल’ अशुभ होता है।
वास्तु बेसिक रूल्स नियम अनुसार बीम:
प्राचीन समय में राजप्रसाद देवालय आदि के बड़े सभा ग्रह बनाने के लिए स्तम्भों के ऊपर बीम डालकर बनाए जाते थे। वर्तमान में आर.सी.सी. के माध्यम से दीवारों में स्थित दो स्तम्भ पर ही एक बड़ी बीम डालकर बड़े चौड़े हॉल इत्यादि का निर्माण किया जाता है। अर्थात बीम पर ही पूरे भवन का भार रहता है भार वहन करने वाली बीम दबाव उत्पन्न करती है, इसलिए बीम के नीचे, दरवाजा, फर्नीचर, खाने की टेबल एवं पलंग नहीं होना चाहिए। मकान के मुख्य द्वार के ऊपर स्थित बीम से ग्रह्स्वामी पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव निर्मित होता है, जिसके फलस्वरूप व्यवसाय में हानि अथवा उन्नति में व्यवधान आ सकता है।
वास्तु बेसिक रूल्स नियम अनुसार:
बीम के नीचे स्थित पलंग स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं उत्पन्न करता है। वास्तु बेसिक रूल्स (Vastu Basic Rules) सिर के ऊपर स्थित बीम से सिरदर्द, पेट के ऊपर होने से उदर रोग एवं पैरों के ऊपर होने से वातरोग, साइटिका इत्यादि की सम्भावना रहती है। रसोई घर में चूल्हे अथवा गैस के ऊपर बीम होने से अग्निभय रहता है। साथ ही नौकरी में उत्तम अवसर मिलने की सम्भावना कम हो जाती है।