Vastu Bhoomi Shuddhi | वास्तु भूमि शुद्धि
Vastu Bhoomi Shuddhi (वास्तु भूमि शुद्धि): Before the construction of the house, the surgery is done for the land; it is called Vastu Land Purification or Vastu Bhoomi Shuddhi. Surgery means that there is a defective thing in the womb of the land, such as animal, human bone, iron, stone, wood, coal or other. Making a house on metal, etc. without any surgical treatment or construction of land (Vastu Bhoomi Shuddhi) is inauspicious, and people living in it have to face many kinds of pain and suffering.
The fear of sudden disaster, loss of wealth and death remains. Since there is a surgical fault in the house due to the buried materials in the house, therefore, the land should be constructed on land by purifying by Vastu Bhoomi Shuddhi.
How to know the surgery for Vastu Bhoomi Shuddhi?
First, divide the plot into 9 parts and include A, C, F, D, T, W, Y, SH, in the east, east- south, south, south west, west, west-north, north, northeast directions and in the middle Write H, now tell the owner of the land, that after reciting Ishtadev, the Brahmin for any flower, the Kshatriyas for the river, the Vaishya for any deity and the Sudras can pronounce the name of any fruit. Now the first letter of the flower, river, deity or fruit is seen in the chakra on which part, in which part of which the surgery is understood, if the letter is not received, then there is no surgery required in the land.
Alphabets | Direction | Surgical object | Surgical dept | Surgical fruit |
a | east | human bone | half hand down | Mratyukarak |
k | north | horse bone | 2 hands down | Rajya bhaya se dand karak |
c | west | human bone | Till lower portion of body | Death by diseases |
t | north | dogs bone | 1 ½ hand down | Dangerous for children |
ta | east | kids bone | 1 ½ hand down | Owner will not stay |
p | west | grass or coal | four hands down | Friendless |
ya | north | kids bone | Till lower portion of body | Poverty |
sh | ishan | cows bone | 1 ½ hands down | Praise |
h | middle | human hut, coal; | 3 hands down | More Painful |
At the place where the surgery is performed, remove the soil from a pit as deep as a man, and throw it out of it and do not use that in any work. By replacing the new pure soil in its place, surgical purification or Vastu Bhoomi Shuddhi becomes purified. There is no land defect due to the construction of the house after the Vastu Bhoomi Shuddhi, but after the construction of the house surgery or the architectural land purification is not possible at all.
Attention for Vastu Bhoomi Shuddhi:
If there is more than ten feet of depth in the land (Vastu Bhoomi Shuddhi), it is not a fault. In the land on which to build the house, dig the depth of the height of the landowner to the depth of the land and remove the soil and re-fill with the new soil. Throw the soil removed; it should not be brought to any work. There is no fault in the land when it is done, it is appropriate to build a house on it.
वास्तु भूमि शुद्धि | Vastu Bhoomi Shuddhi
वास्तु भूमि शुद्धि: घर निर्माण करने से पहले भूमि का शल्य शोधन किया जाता है, इसे वास्तु भूमि शुद्धि कहते है, शल्य से तात्पर्य भूमि के गर्भ में किसी दोषपूर्ण वस्तु का होना है, जैसे कि पशु, मानव अस्थि, लोहा, पत्थर, लकड़ी, कोयला या अन्य धातु आदि, बिना शल्य शोधन या वास्तु भूमि शुद्धि (Vastu Bhoomi Shuddhi) किए भूखण्ड पर घर बनाने से दोष बनता है और उसमें रहने वाले लोगों को अनेक प्रकार प्रकार के कष्ट व पीडाओं का सामना करना पड़ता है। आकस्मिक आपदा, धन हानि एवं मृत्यु तक का भय बना रहता है। क्योंकि भूमि में दबे हुए पदार्थो के कारण घर में शल्य दोष बना रहता है। अत: वास्तु भूमि शुद्धिकरके भूमि पर घर का निर्माण करना चाहिए।
वास्तु भूमि शुद्धि के लिए शल्य कैसे जाने?
सबसे पहले भूखण्ड/घर को 9 भागों में विभाजित करें और उनमें अ, क, च, द, त, प, य, श को पूर्व, पूर्व दक्षिण, दक्षिण, दक्षिण पश्चिम, पश्चिम, पश्चिम उत्तर, उत्तर, उत्तर पूर्व में लिखे और मध्य में ह लिखें, अब भूमि के स्वामी से कहें, कि वह इष्टदेव का स्मरण करके ब्राह्मण किसी फूल का, क्षत्रिय किसी नदी का, वैश्य किसी देवता और शुद्र जाति के लोग किसी फल के नाम का उच्चारण करें। अब फूल, नदी, देवता या फल का पहला अक्षर चक्र में देखें किस भाग पर है, जिस भाग में हो उसमें शल्य को समझे जो अक्षर प्राप्त हुआ यदि नही है तो भूमि में शल्य नहीं है, ऐसा समझना चाहिए।
अक्षर | दिशा | शल्य की वस्तु | शल्य कितना नीचे | शल्य का फल |
अ | पूर्व | मनुष्य की हड्डी | डेढ़ हाथ नीचे | म्रत्युकारक |
क | आग्नेय | गधे की हड्डी | दो हाथ नीचे | राजभय या दंड कारक |
च | दक्षिण | मनुष्य की हड्डी | कमर भर नीचे | रोग से मरणकारक |
ट | नैऋत्य | कुत्ते की हड्डी | डेढ़ हाथ नीचे | बालकों के लिए हानिकारक |
त | पश्चिम | बच्चे की हड्डी | डेढ़ हाथ नीचे | भवन स्वामी घर में न रहे |
प | वायव्य | भूसा/कोयला | चार हाथ नीचे | मित्रहानि |
य | उत्तर | बालक की हड्डी | कमर भर नीचे | धनहानि |
श | ईशान | गाय की हड्डी | डेढ़ हाथ नीचे | पशुनाश |
ह | मध्य | मानव खोपड़ी, राख, लोहा | तीन हाथ नीचे | अत्यंत कष्टदायी |
जिस स्थान पर शल्य हो उस स्थान पर एक पुरुष जितनी गहराई तक गड्ढा खोदकर उसमें से मिट्टी निकालकर फेंक दें और किसी कार्य में न लायें। उसके स्थान पर नई शुद्ध मिट्टी भरने से शल्य शोधन या वास्तु भूमि शुद्धि हो जाती है। वास्तु भूमि शुद्धि के उपरान्त घर निर्माण करने से भूमि सम्बन्धी दोष नहीं रहता है, पर शल्य शोधन (Vastu Bhoomi Shuddhi) या वास्तु भूमि शुद्धि घर बन जाने के बाद बिल्कुल भी सम्भव नहीं है।
वास्तु भूमि शुद्धि लिए ध्यान दे:
यदि भूमि में दस फुट से अधिक गहराई में शल्य हो तो उसका दोष नहीं होता है। जिस भूमि पर घर निर्माण करना हो, उसमें भूस्वामी के बराबर गहराई तक खोदकर मिट्टी निकाल लें और पुन: नई मिट्टी भर दें। निकाली गयी मिट्टी फेंक दें, उसे किसी कार्य में नहीं लाना चाहिए। यह कर लेने पर भूमि में दोष नहीं रहता है, उस पर घर निर्माण करना उचित होता है।