विष्णु स्तुति/Vishnu Stuti
विष्णु स्तुति/Vishnu Stuti
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।।
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।
Vishnu Stuti/विष्णु स्तुति
Shantakaram Bhujangasayanam Padmanabham Suresh
Vishvadharam Gagan Saadisham Meghavarna Shubhangam.
Laxmikanta Kamalanayanam Yogibhirdhyanagamyam
Vande Vishnu Bhavabhayharam Sarva Lokeka Natham.
Yam brahma varunaindru rudramrutah stuvani divyai staivaideh.
Song padakramopanishadai garyanti yam samaga:.
tadgaten manasa pashyati ya yoginos in meditation
Yasyatam na vidu: surasurgana daivay tasmai namah.
विष्णु स्तुति/Vishnu Stuti विशेषताए:
इस स्तुति के साथ-साथ यदि विष्णु आरती या विष्णु चालीसा का पाठ किया जाए तो, इस स्तुतिं का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तुति शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तुति का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तुति का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तुति का पाठ करे|
इस स्तुति के पाठ के साथ साथ विष्णु सुक्तम का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और साधक को विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए जिससे साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही विष्णु की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस स्तुति पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|